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ब्लैक फंगस से कई गुना खतरनाक है ग्रीन फंगस, जानें इसके लक्षण और बचाव

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 19 Jun, 2021 01:23 PM
ब्लैक फंगस से कई गुना खतरनाक है ग्रीन फंगस, जानें इसके लक्षण और बचाव

कोरोना वायरस का कहर अब भी पूरी तरह से थमा नहीं कि इसी बीच ब्लैक फंगस की बीमारी ने जन्म ले लिया जोकि बेहद खतरनाक साबित हो रही हैं वहीं इसी बीच ब्लैक के बाद व्हाइट और यलो फंगस ने भी भारत की मुश्किलों को और भी बढ़ा दिया है। म्यूकोर्मिकोसिस यानि ब्लैक फंगस अभी तक सबसे घातक फंगस में से एक रहा है, जो कोराना से ठीक होने के बाद लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। यह ज्यादातर डायबिटीज के मरीजों में पाया जा रहा है। 

ब्लैक, व्हाइट और यलो के बाद अब ग्रीन फंगस ने भी भारत में दी दस्तक-
वहीं आपको बता दें ब्लैक, व्हाइट और यलो फंगस के बाद भारत में ग्रीन फंगस ने भी भारत में दस्तक दे दी है, जिसने डॉक्टरों की चिंता को और भी बढ़ा दिया है।

ब्लैक फंगस से कई गुना खतरनाक है ग्रीन फंगस 
दरअसल, मध्य प्रदेश के इंदौर में रहने वाले 34 वर्षीय व्यक्ति में कोविड से ठीक होने के करीब डेढ़ माह बाद ग्रीन फंगस की पुष्टि हुई है। बेहतर इलाज के लिए संक्रमित व्यक्ति को मुंबई के दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया है।  डाॅक्टरों के मुताबिक यह ब्लैक फंगस से कई गुना खतरनाक है।

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 टेस्ट के दौरान व्यक्ति में ब्लैक फंगस के बजाए ग्रीन फंगस की हुई पुष्टि-
 श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफि मेडिकल साइंस के चेस्ट डिजीज के एचओडी डॉक्टर रवि डोसी ने बताया कि कोरोना से संक्रमित होने के दौरान व्यक्ति में ब्लैक फंगस के लक्षण देखे गए थे। जिसके बाद उसका परीक्षण किया गया, टेस्ट के दौरान व्यक्ति में ब्लैक फंगस के बजाए ग्रीन फंगस (एम्परगिलोसिस) की पुष्टि की गई है।

इस वजह से दिया गया इसे ग्रीन फंगस का नाम-
डॉ. रवि डोसी ने बताया कि व्यक्ति पोस्ट कोविड मरीज था। उसके फेफड़ों व साइनस में एसरपरजिलस फंगस मिलने के बाद उसका उपचार अलग किया गया। पिछले 90 दिनों से व्यक्ति का कोविड का इलाज चल रहा था, संक्रमण के दौरान मरीज के फेफड़े पूरी तरह डैमेज हो गए थे। डिस्चार्ज होने के बाद व्यक्ति में यह बीमारी सामने आई है। वहीं आपको बता दें फंगस के हरे रंग कारण इसे ग्रीन फंगस का नाम दिया गया है। 

जानिए क्या है ग्रीन फंगस - विशेषज्ञों के अनुसार, एस्परगिलोसिस एस्परगिलस के कारण होने वाला एक संक्रमण है। एस्परगिलस कई तरह के होते हैं। अधिकांश लोग बिना बीमार हुए प्रतिदिन एस्परगिलस बीजाणुओं में सांस लेते हैं। हालांकि कमजोर इम्युनिटी या फेफड़ों से संबंधित बीमारी से ग्रस्त लोगों में इस फंगस का खतरा बेहद अधिक है। 

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ग्रीन फंगस के लक्षण
एस्परगिलोसिस में विभिन्न प्रकार के लक्षण पाए जाते इसमें संक्रमित व्यक्ति में अस्थमा के समान खांसी, 
-बुखार।
-सासं लेने में परेशानी।
-छाती में दर्द।
-नाक का बहना।
 -सिर दर्द। 
-सूंघने की क्षमता में कमी।
- खांसी में खून आना।
-नाक से खून बहना।
-कमजोरी।
-वजन तेजी से कम होना आदि लक्षण शामिल हैं।

ग्रीन फंगस के बचाव
-डॉक्टर्स के अनुसार, इस फंगल इन्फेक्शंस से बचने के लिए साफ-सफाई और ओरल हाइजीन का खासतौर पर ध्यान रखें।  ऐसी -जगहों पर जाने से बचना चाहिए जहां धूल-मिट्टी या पानी जमा हो।
- अगर धूल-मिट्टी या पानी वाली जगहों पर जाना हो तो N95 मास्क जरूर पहनें।
- हाथ और चेहरे को साबुन-पानी से धोते रहें, खासतौर पर अगर मिट्टी और धूल के संपर्क में आए हों तो। 


 

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