एक छोटा सा एक्सीडेंट जहां इंसान को पूरी तरह से झंकझोर के रख देता हैं, वहीं मुंबई की अनामता अहमत तो हाथ खोकर भी नहीं टूटती। जी हां, 15 साल की अनामता को 2 साल पहले बिजली का खतरनाक झटका लगा था, इससे वो बुरी तरह से जल गई थीं। अलीगढ़ में अपने चचेरे भाइयों के साथ खेलते समय ये हादसा हुआ। इसके लिए उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। उनका दाहिनी हाथ काटना पड़ा। वहीं उनका बायां हाथ अब सिर्फ 20 फीसदी ही काम करता है। महज 13 साल की उम्र में इस घटना के बाद उन्हें लंबा समय बिस्तर पर बिताना पड़ा। ये एक बड़ा ट्रॉमा था।ऐसे में जहां बड़ा से बड़ा इंसान हार मान लें, लेकिन अनामता तो किसी ही मिट्टी की बनी थी। अब उन्होंने 10वीं क्लास में 92 % हासिल किए हैं। आइए आपको बताते हैं अनामता की सफलता की कहानी...
10वीं में 92% स्कोर कर बनीं टॉपर
इस घटना के बाद उनका लंबे समय तक इलाज चला। उन्होंने अपनी बिखरी जिंदगी को समेटना शुरु किया। वहीं बीते सोमवार को ICSE बोर्ड के नतीजे आए, जिस ने सब को हैरान कर दिया। उनके परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, उसने अपनी क्लास की परीक्षा में 92 परसेंट हासिल किए। वहीं 98 फीसदी अंकों के साथ अपने स्कूल में हिंदी में टॉप स्कोरर भी थीं।
पॉजिटिविटी से जिंदगी में बढ़ी आगे
जैसे ही सीआईएसससीई के रिजल्ट सामने आए तो मुंबई के अंधेरी में मौजूद सिटी इंटरनेशनल स्कूल जश्न में डूब गया। यहीं पर अनमता पढ़ती है। वो हमेशा से एक शार्प स्टूडेंट रही हैं। वो किसी तरह के दर्द से गुजरी कोई भी डिप्रेशन में जा सकता था। हालांकि हाथ न होने के बावजूद उन्होंने एक चीज अपनी जिंदगी से नहीं जाने दी और वो थी पॉजिटिविटी। ये ही उनकी सफलता का मंत्रा है।
डॉक्टर ने दी थी 1-2 साल के लिए पढ़ाई छोड़ने की सलाह
अनामता का कहना है कि डॉक्टर ने यहां तक कहा था कि 1- 2 साल तक वो पढ़ाई से छुट्टी ले लें। लेकिन वो नहीं मानी क्योंकि वो इस हादसे को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहती थीं। अस्पताल से घर आने के बाद अनमता ने सबसे पहला काम यही किया कि अपने दरवाजे पर वो नोट चिपका दिया, जिसमें लिखा था- कृपया, किसी तरह की कोई हमदर्दी ना जताएं...।
ऐसे की परीक्षा की तैयारी
परीक्षा की तैयारी के बारे में अनामता कहती हैं उनका सबसे बड़ा चैलेंज बाएं हाथ से लिखाना था, जिनकी उन्हें आदत नहीं थी। हालांकि प्रैक्टिस कर- करके उन्होंने बाएं हाथ से ही लिखना शुरु कर दिया। फिर भी टीचर्स ने उन्हें परीक्षा में एक राइटर रखने को कहा था स्पीड से समझौता न हो। जिसका बाद उनका एग्जाम एक राइटर ने लिखा। अब जब वो अपने स्कूल में हिंदी की टॉपर भी हैं।
अनमता के घर वाले, खासकर के उनके पिता अकील अहमद, जो एड फिल्में बनाते हैं, अपनी बेटी की कामयाबी पर काफी खुश हैं। वो उनकी एकलौती बेटी है। वो बताते हैं डॉक्टरों ने भी उसके ठीक होने की उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन अनामता ने दिखा दिया की उनके इरादे कितने मजबूत हैं।