बढ़ती ठंड में निमोनिया जैसी खतरनाक बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। यह एक तरह की लंग इंफेक्शन है जिसकी चपेट में हर उम्र का व्यक्ति आ सकता है। बच्चे हो या फिर बुजुर्ग हर किसी को यह खतरनाक बीमारी घेर सकती है वहीं यदि समय रहते इसका इलाज न करवाया जाए तो समस्या बढ़ भी सकती है। इसके अलावा निमोनिया का खतरा कम करने के लिए वैक्सीनेशन भी जरुरी है। तो चलिए आपको बताते हैं कि इसका वैक्सीनेशन कब करवाना चाहिए...
कब लगवाना चाहिए निमोनिया का टीका?
निमोनिया का टीका इस बीमारी को खत्म नहीं कर सकते लेकिन इसका खतरा काफी हद तक कम जरुर कर सकता है। हर साल लगभग 14% बच्चों की मृत्यु निमोनिया के कारण भी होती है। हालांकि यदि इसका वैक्सीनेशन करवाया जाए तो निमोनिया का खतरा कम किया जा सकता है।
दो तरह का होता है निमोनिया का टीका
. न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी13 या प्रीवनार 13)
. न्यूमोकोकल पॉलीसेकेराइड वैक्सीन (PPSV23 या न्यूमोवैक्स 23)
न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन
यह टीका 13 तरह के जीवाणुओं से बचाता है जो व्यस्कों और बच्चों में जीवन संक्रमण का खतरा बन सकते हैं। यह वैक्सीन बाल टीकाकरण प्रोटोकॉल के अंतगर्त आती है। इसे मुख्यतौर पर 3-4 खुराक में दिया जाता है। जहां पहली खुराक 2 महीने की उम्र में दी जाती है वहीं अंतिम खुराक 15 महीने तक होती है।
निमोनिया के टीका कब नहीं लगवाना चाहिए?
यदि आपकी पीसीवी से एलर्जी है तो यह टीका न लगवाएं।
क्या हो सकते हैं टीके के साइड इफेक्ट्स
. लालपन
. इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन
. मांसपेशियों में दर्द
. बुखार
. ठंड लगना
इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों को फ्लू और निमोनिया का टीका एक साथ न लगवाएं। इससे बुखार संबंधी दौरे पड़ने का खतरा बढ़ सकता है।
निमोनिया के चेतावनी संकेत
यदि निमोनिया ठीक नहीं हो पा रहा तो इसके कुछ निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
. छाती का तेजी से बढ़ना
. पेट का तेजी से अंदर-बाहर होना
. नाक बहने के साथ-साथ पसलियों के नीचे दर्द होना
. ऑक्सीजन की कमी के कारण नाखूनों और नाखूनों का रंग नीला या भूरा होना
कैसे करें बचाव?
निमोनिया बच्चों और बड़ों को प्रभावित करने वाले सबसे आम संक्रमणों में से एक है। इस बीमारी से अपना बचाव करने के लिए अपने लाइफस्टाइल और पोषण का ध्यान रखें। इसके अलावा निमोनिया का टीका भी जरुर लगवाएं।