यूएई के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे खास जीन की पहचान कर ली है मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के खिलाफ अहम भूमिका निभा सकते हैं। मोहम्मद बिन राशिद यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज (MBRU) और अल जलीला चिल्ड्रन स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया है।
क्या है MIS-C
दरअसल, मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम यानी MIS-C होने का खतरा उन बच्चों में होता है, जो कोरोना वायरस महामारी से उबरे होते हैं और कई सप्ताह बाद इसे इन बच्चों में देखा गया है। ये आवश्यक नहीं है की वो सभी बच्चे जिन्हे MIS-C हो उनमें कोविड 19 के लक्षण हुए हों, और कुछ बच्चों में हफ़्तों पहले लक्षण हों चुके हो सकते हैं।
70 बच्चों का किया गया विश्लेषण
अध्ययन में उन 70 बच्चों का विश्लेषण किया गया जो कोरोना का शिकार हो चुके हैं। यूएई के अल जलीला चिल्ड्रन स्पेशलिटी अस्पताल के साथ-साथ जॉर्डन यूनिवर्सिटी अस्पताल में सितंबर 2020 और अगस्त 2021 के बीच इस तरह के मरीजों का इलाज किया गया। स्टडी में पाया गया कि- एमआईएस-सी वाले बच्चों में COVID-19 वाले बच्चों के 'नियंत्रण' की तुलना में दुर्लभ और संभावित हानिकारक प्रतिरक्षा संबंधी आनुवंशिक परिवर्तन होने की संभावना अधिक थी
यूएई के वैज्ञानिकों ने किया महत्वपूर्ण अध्ययन
अल जलीला चिल्ड्रन स्पेशलिटी अस्पताल में बाल चिकित्सा संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख और अध्ययन अन्वेषक डॉ वालिद अबुहमौर ने कहा- ये एक महत्वपूर्ण अध्ययन है। उन्होंने बताया कि- दुर्लभ अनुवांशिक कारक (Genetic Link )एमआईएस-सी रोग में भूमिका निभाते हैं और प्रतिरक्षा से संबंधित मार्गों को हाइलाइट करते हैं।
MIS-C के ये है लक्षण
विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई कि जल्द ही इस मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम जैसी घातक बिमारी पर काबू पाया जा सकेगा। दरअसल यह बिमारी बच्चों के हृदय, गुर्दे और लीवर को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है। बच्चों में ‘मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम’ के कारण बुखार के साथ-साथ कम से कम उनके दो अंग प्रभावित हो सकते हैं और अक्सर पेट दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते या आंखें लाल होने आदि जैसे लक्षण भी नजर आते हैं।
अमेरिका में मिले थे कई मामले
कहा जाता है कि ये लक्षण कोरोना से मिलते-जुलते हैं लेकिन आरटीपीसीआर टेस्ट नेगेटिव आता है। कोरोना में जहां संक्रमण फेफड़ों में होता है एमआईएस में ऐसा लगता है कि बीमारी शरीर के एक सिस्टम में नहीं बल्कि सब जगह है, इसलिए इसे मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेंट्ररी सिंड्रोम कहा जाता है। फरवरी 2020 से अमेरिका में ‘मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम’ के 6800 से अधिक मामले सामने आए थे।