टाइटन पनडुब्बी तो सब को याद है ही, 18 जून को समुद्र के अंदर अचानक से इसके अंदर एक विस्फोट हुआ था, जिससे इसमें मौजूद 5 लोग की मौत हो गई थी। बता दें वो इस पनडुब्बी में बैठकर समुद्र के अंदर मौजूद टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने गए थे। टाइटन पनडुब्बी की कंपनी ओशनगेट (OceanGate) के को - फाउंडर गुइलेर्मो सोहनेलिन (Guillermo Söhnlein) की नजरें अब नए लक्ष्य पर हैं। उनकी योजना है कि साल 2050 तक 1000 लोगों को Venus Planet (शुक्र ग्रह) के वातावरण में रहने भेजा जाए।खबरों की मानें तो सोहनेलिन का ये नया प्रोजेक्ट बड़ा ही महत्वाकांक्षी है, लेकिन उन्हें लगता है कि साल 2050 तक ऐसा करना संभव है।
इतनी गर्मी में लोग कैसे रहेंगे?
जब गिलर्मों से इस बारे में सवाल किया गया कि इतने गर्म प्लानेट पर लोग कैसे रहेंगे तो उन्होंने बताया कि नासा के अनुसार शुक्र में बहुत सारे कार्बन डाइऑक्साइड के साथ घना, जहरीला वातावरण है। यह हमेशा सल्फ्यूरिक एसिड से बने मोटे, पीले बादलों से ढका होता है। यह बादल गर्मी को फंसाते हैं, जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा होता है। भले ही बुध सूर्य के करीब है लेकिन शुक्र वास्तव में हमारे सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह है। वहां सतह का तापमान 900 डिग्री फ़ारेनहाइट (475 डिग्री सेल्सियस) तक पहुंच सकता है, जो सीसा पिघलाने के लिए पर्याप्त है। ग्रह की सतह का रंग जंग (rusty color)जैसा है और यह घने पहाड़ों और कई बड़े ज्वालामुखियों से भरा हुआ है।
मस्क के स्पेस एक्स से की तुलना
गिलर्मो का ये भी कहना है कि अगर अंतरिक्ष स्टेशन को बादलों में सल्फ्यूरिक एसिड का सामना करने के लिए डिजाइन किया जा सकता है तो सैंकड़ों से हजारों लोग किसी दिन शुक्र वातावरण में रहे सकते हैं। सोहनलेन ने वीनस कार्यक्रम की तुलना मस्क के स्पेसएक्स से की। उन्होंने कहा कि ओशनगेट का लक्ष्य सस्ते चालक दल वाले पनडुब्बियों का निर्माण करना था, जिन्हें जिन्हें समुद्र की गहराई का पता लगाने के लिए किराए पर लिया जा सकता था। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के रास्ते में विकसित टेक्नोलॉजी संभवतः मनुष्यों को अंतरिक्ष की यात्रा में मदद करने में उपयोगी होंगी। उन्होंने इसकी तुलना एलन मस्क के स्पेसएक्स से की, जिसका लक्ष्य लाखों लोगों को मंगल की सतह पर लाना है। स्पेसएक्स ने रियूजेबल रॉकेट, स्टारलिंक और इसके स्टारशिप मेगा-रॉकेट के विकास के माध्यम से इसे हासिल किया है।