भारतीय सिनेमा जगत में अपनी दिलकश अदाओं से दर्शको को दीवाना बनाने वाली ना जाने कितनी अभिनेत्री हुयी लेकिन चालीस के दशक में एक ऐसी अभिनेत्री भी हुयी जिसे ..ब्यूटी क्वीन कहा जाता था और आज के सिने प्रेमी उसे नही जानते वह थी ..नसीम बानो । 04 जुलाई 1916 को जन्मीं नसीम बानो की परवरिश शाही ढ़ेग से हुयी थी और वह स्कूल पढ़ने के लिये पालकी से जाती थी । उनकी सुंदरता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि उसे किसी की नजर ना लगे इसलिये उसे पर्दे में रखा जाता था।
संयोग से बनी अभिनेत्री
फिल्म जगत में नसीब बानो का प्रवेश संयोगवश हुआ । एक बार वह अपनी स्कूल की छुटियों के दौरान अपनी मां के साथ फिल्म ..सिल्वर किंग ..की शूटिंग देखने गयी । फिल्म की शूटिंग को देखकर नसीम बानो मंत्रमुग्ध हो गयी और उन्होंने निश्चय किया कि वह बतौर अभिनेत्री अपने सिने करियर बनायेगी । इधर स्टूडियों में उनकी सुंदरता को देख कई फिल्मकारो ने उनके सामने फिल्म अभिनेत्री बनने का प्रस्ताव रखा लेकिन उनकी मां ने यह कहकर सारे प्रस्ताव ठुकरा दिये कि नसीम अभी बच्ची है , वह अपनी बेटी को अभिनेत्री नही डॉक्टर बनाना चाहती थी । इसी दौरान फिल्म निर्माता सोहराब मोदी ने अपनी फिल्म .हैमलेट.के लिये बतौर अभिनेत्री नसीम बानो को काम करने के लिये प्रस्ताव रखा लेकिन इस बार भी मां ने इंकार कर दिया पर नसीम बानो अपनी जिद पर अड़ गयी कि उसे अभिनेत्री बनना ही है इतना ही नही उन्होंने अपनी बात मनवाने के लिये भूख हड़ताल भी कर दी।
फिल्म इंडस्ट्री के लिए छोड़ दी पढ़ाई
बाद में नसीम की मां को नसीम बानो की जिद के आगे झुकना पड़ा और उन्होंने नसीम को इस शर्त पर काम करने की इजाजत दे दी कि वह केवल स्कूल की छुट्टियों के दिन फिल्मों मे अभिनय करेगी । वर्ष 1935 में जब फिल्म ..हैमलेट ..प्रदर्शित हुयी तो वह सुपरहिट हुयी लेकिन दर्शको को फिल्म से अधिक पसंद आयी नसीम बानो की अदाकारी और सुंदरता। फिल्म ..हैमलेट ..की कामयाबी के बाद नसीम बानो की ख्याति पूरे देश में फैल गयी ।सभी फिल्मकार उनको अपनी फिल्म में काम करने की गुजारिश करने लगे । इन सब बातो को देखते हुये नसीम बानो ने स्कूल छोड़ दिया और खुद को सदा के लिये फिल्म इंडस्ट्री को समर्पित कर दिया । फिल्म हैमलेट के बाद उनकी जो दूसरी फिल्म प्रदर्शित हुयी वह थी ..खान बहादुर .. फिल्म के प्रचार के दौरान उनको ब्यूटी क्वीन के रूप में प्रचारित किया गया । फिल्म ब्यूटी क्वीन भी सुपरहिट साबित हुयी ।इसके बाद नसीम बानो की एक के बाद डायवोर्स.मीठा जहर और वासंती जैसी कामयाब फिल्में प्रदर्शित हुयी।
शोहरत की बुलंदियो पर पहुंची नसीम बानो
नसीम बानो का गाया यह गीत ..जिंदगी का साज भी क्या साज है ..आज भी श्रोताओं के बीच लोकप्रिय है । फिल्म पुकार में उनको ..परी चेहरा ..के रूप में प्रचारित किया गया । फिल्म पुकार की सफलता के बाद नसीम बानो बतौर अभिनेत्री शोहरत की बुलंदियो पर जा पहुंची इसके बाद उन्होंने जितनी भी फिल्में की वह सफल रही और सभी फिल्म में उनके दमदार अभिनय को दर्शको द्वारा सराहा गया ।इस बीच नसीम बानो ने चुनौतीपूर्ण भूमिका निभानी शुरू कर दी । इसी क्रम में उन्होंने फिल्म ..शीश महल .. में एक जमींदार की स्वाभिमानी लड़की की भूमिका को भावपूर्ण तरीके से रूपहले पर्दे पर पेश किया । इसके अलावे फिल्म ..उजाला .. में उन्होंने रंगमंच की अभिनेत्री की भूमिका निभायी जिसे शास्त्रीय नृत्य और संगीत पसंद है ।इसके बाद नसीम बानो ने बेताब .चल चल रे नौजवान .बेगम .चांदनी रात.मुलाकातें.बागी जैसी सुपरहिट फिल्मों के जरिये सिने प्रेमियों का मन मोहे रखा ।
बेटी के लिए छोड़ दिया करियर
साठ के दशक में प्रदर्शित फिल्म ..अजीब लड़की ..बतौर अभिनेत्री नसीम बानो के सिने करियर की अंतिम फिल्म थी ।इस फिल्म के बाद उन्होंने अपने सफलतापूर्वक चल रहे सिने करियर से संयास ले लिया इसकी मुख्य वजह यह रही कि उस समय उनकी पुत्री सायरा बानो फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगहबनाने के लिये संघर्ष कर रही थी और अपनी बेटी से नसीम बानो अपनी तुलना नही करना चाहती थी इसलिये उन्होंने निश्चय किया कि वह अपनी बेटी के सिने करियर को सजाने संवारने के लिये के लिये अब काम करेगी । साठ और सत्तर के दशक में नसीम बानो ने बतौर ड्रेस डिजायनर फिल्म इंडस्ट्री में काम करना शुरू कर दिया । अपनी पुत्री सायरा बानो की अधिकांश फिल्मों मे ड्रेस डिजायन उन्होंने ही किया ।इन फिल्मों में अप्रैल फूल, पड़ोसन,झुक गया आसमान,पूरब और पश्चिम,ज्वार भाटा,विक्टोरिया नंबर 203,पॉकेटमार,चैताली,बैराग और काला आदमी शामिल है। लगभग चार दशक तक सिने प्रेमियों को अपनी दिलकश अदाओं से दीवाना बनाने वाली अद्धितीय सुंदरी नसीम बानो 18 जून 2002 को इस दुनिया से रूखसत हो गयी ।