सनातन धर्म में गंगा सप्तमी का बहुत महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन देवी गंगा की विधि- विधान से पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है। हर साल ये त्योहार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। ये बार ये 14 मई को मनाया जाएगा। सप्तमी तिथि 13 मई, को शाम 5 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी, जो कि अगले दिन यानी 14 मई शाम को 6 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। इस बार गंगा सप्तमी के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग जैसे काफी शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है। ये ही वजह है कि इस दिन का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। आइए आपको बताते हैं कौन हैं गंगा मां और इस दिन का महत्व...
कौन हैं मां गंगा?
पदमपुराण के अनुसार आदिकाल में ब्रह्माजी ने सृष्टि की मूलप्रकृति से कहा,- 'हे देवी...तुम समस्त लोकों का आदिकारण बनो, मैं तुमसे ही संसार की सृष्टि प्रारंभ करूंगा'। ब्रह्मा जी के कहने पर मूल प्रकृति- गायत्री, सरस्वती, लक्षमी, उमादेवी, शक्ति बीजा, तपस्विनी और धर्मद्रवा इन सात स्वरूपों में प्रकट हुईं। इनमें से सातवीं 'पराप्रकृति धर्मद्रवा' अर्थात देवी गंगा को सभी धर्मों में प्रतिष्ठित जानकार ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल में धारण कर लिया। एक अन्य कथा के अनुसार गंगा पर्वतों के राजा हिमवान और मैना की पुत्री हैं,इ स प्रकार से गंगा मैया देवी पार्वती की बहन हैं।
इस दिन शिव जी की जटाओं में पहुंची थी गंगा
उल्लेख मिलता है कि सतयुग राजा बलि के यज्ञ के समय वामन अवतार लिए जब भगवान विष्णु का एक पग आकाश और ब्रह्माण्ड को भेदकर ब्रह्मा जी के सामने स्थित हुआ, उस समय अपने कमण्डल के जल से ब्रह्माजी ने श्रीविष्णु के चरण पूजन किया। चरण धोते समय श्रीविष्णु का चरणोदक हेमकूट पर्वत पर गिरा। वहां से भगवान शिव के पास पहुंचकर ये जल गंगा के रूप में उनकी जटाओं में समा गया। गंगा बहुत काल तक शिव की जटाओं में भ्रमण करती रहीं।
ऐसे करें मां गंगा की पूजा
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले अपने इष्ट देवी- देवताओं की पूजा करें। दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गंध और कुश लेकर गंगा सप्तमी व्रत का संकल्प लेना चाहिए। मां गंगा को धूप, दीप, पुष्प आदि अर्पित करके पूजा करें। श्रीगंगा स्तुति और श्रीगंगा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। खासकर के इस दिन दान- पुण्य करना बहुत फलदायी माना गया है। इसके साथ ही गंगाजी के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
गंगा पूजन का महत्व
इस दिन गंगा मैया के स्मरण, पूजन और स्नान से धन- सम्पत्ति, सुख और यश- सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का नाश होता है। ज्योतिषीय धारणा के अनुसार इस दिन गंगा पूजन से ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं। गंगा पूजन करना मोक्ष प्रदायक, अमोघ फलदायक माना गया है और इस दिन किया दान कई जन्मों के पुण्य के रूप में प्राणी को मिलता है।