भारत के हर कोने में गणेशोत्सव की धूम कल से शुरु हो जाएगी। साल गणेश चतुर्थी 22 अगस्त से लेकर 1 सितंबर तक चलेगी। हालांकि कोरोना की वजह से इस साल बप्पा का आगमन थोड़ा-फीका पड़ गया है। 10 दिन चलने वाले इस त्यौहार में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। हालांकि इस दौरान चांद को देखने और तुलसी का इस्तेमाल वर्जित माना जाता है।
गणेश चतुर्थी को क्यों कहते हैं डंडा चौथ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि के दाता भगवान गणेश की शिक्षा का शुरांम्भ भी इसी दिन से हुआ था। इसी दिन से विद्याध्ययन की शुरूआत होती है। कुछ देशों में तो बच्चे डंडे बजाकर खेल भी खेलते हैं, जिससे डंडा चौथ उत्सव के नाम से जाना जाता है।
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त:
मध्यान्ह गणेश पूजन मुहूर्त - 10:46 सुबह से 1:57 दोपहर तक
इस समय न देखें चांद - 8:47 रात से 9:22 रात तक
चतुर्थी तिथि आरंभ - 21 अगस्त की रात 11:02 बजे से।
चतुर्थी तिथि समाप्त - 22 अगस्त की रात 7:56 बजे तक।
गणेश विसर्जन - मंगलवार 1 सितंबर 2020
गणेश जी की मूर्ति कहां स्थापित करें
आप घर के मंदिर या देव स्थान में गणेश प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं। पूजा स्थल की अच्छी तरह साफ-सफाई करके चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और चावल रखें। इसके बाद मूर्ति स्थापना करके दूर्वा, गंगाजल और पान के पत्ते स्नान करें। भगवान गणेश को पीले वस्त्र या मोली बांधें। इसके बाद भगवान को रोली-तिलक, फल-फूल, प्रसाद चढ़ाए और आरती करके पूजा करें।
ध्यान में रखें यह बात
"ऊं गं गणपतये नम: मंत्र" का जाप करना ना भूलें। ध्यान रखें कि सुबह शाम भगवान गणेश की पूजा करने के साथ उन्हें दिन में 3 बार भोग लगाएं। भगवान गणेश को मोदक का प्रसाद जरूर लगाएं।
बप्पा को क्या क्या चढ़ाएं
पूजा करते समय भगवान गणेश को 5 दूर्वा, चंदन, मौली, चावल, केसर, हल्दी, लौंग चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा बप्पा को 21 लड्डूओं या पंचमेवा का भोग लगाकर गरीब लोगों में बांट दें। भगवान आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।
जरूरी बात
भगवान गणेश को जो दूर्वा चढ़ा रहे हैं उसे रोजाना बदलें। इसके साथ ही उनके चरणों में 5 हरी इलायची और 5 कमलगट्टे रखें। पूजा खत्म होने के बाद लाल कपड़े में कमलगट्टे बांधकर तिजोरी में रख दें और इलायची को प्रसाद के साथ बांट दें। इससे आपकी सभी परेशानियां दूर होंगी।