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Art Of India: Nita Ambani के कल्चर की निशानी है Bandhani प्रिंट

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 12 Dec, 2023 05:53 PM
Art Of India: Nita Ambani के कल्चर की निशानी है Bandhani प्रिंट

बांधनी साड़ी का नाम तो आपने बहुत बार सुना होगा। वैसे तो यह कच्छ की फेमस साड़ी हैं और गुजराती लोगों का यह पारंपरिक परिधान है गुजराती और राजस्थानी महिलाएं इसे बहुत पसंद करती हैं। नीता अंबानी भी गुजराती हैं इसलिए उन्हें भी खास मौके पर बांधनी प्रिंटेड साड़ी पहने कई बार देखा गया है।हालांकि यह इसका क्रेज सिर्फ गुजरात और राजस्थान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे भारत यहां कि बॉलीवुड में इस प्रिंट को पसंद किया जाता है।

बॉलीवुड एक्ट्रेस भी हैं बांधनी प्रिंट की दिवानी

श्वेता बच्चन, आलिया भट्ट, जाह्नवी कपूर जैसी कई दीवाज इस प्रिंट में खूबसूरत साड़ी पहनकर लाइमलाइट बटौर चुकी हैं। साड़ी ही नहीं बांधनी प्रिंट सूट, लहंगे, दुपट्टे भी बहुत पसंद किए जाते हैं लेकिन क्या आप बांधनी का इतिहास जानते हैं यह कैसे और कब शुरू हुई। इस प्रिंट को बनाया कैसे जाता है तो चलिए आज के पैकेज में आपको बांधनी प्रिंट के बारे में ही बताते हैं।

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बांधनी प्रिंट को  बंधनी, बंधेज और बंधानी भी जाता है कहा

बांधनी प्रिंट अपने आप में ही एक खास पहचान रखता है जिसे देखकर ही आप बता सकते हैं कि ये बांधनी प्रिंट है। इस प्रिंट को रंगाई से तैयार किया जाता है। पेठापुर, मांडवी, भुज, अंजार, जामनगर, जेतपुर, पोरबंदर, राजकोट, उदयपुर, जयपुर, अजमेर, बीकानेर, चूरू आदि में बंधेज की अच्छी किस्में बनाई जाती हैं। बंधनी में बने पैटर्न काफी महीन होते हैं। यह आम तौर पर छोटे गोलाकार पैटर्न के साथ काम करता है - 'बिंदु' या 'धब्बे' के रूप में और आगे इस बिंदुओं और धब्बों को अलग-अलग आकृति देकर सजाया जाता है।

सिंधु घाटी से जुड़ा है बांधनी  प्रिंट का इतिहास

वहीं इसके इतिहास की बात करें तो इसके साक्ष्य सिंधु घाटी सभ्यता से मिलते हैं इससे तो यहीं पता चलता है कि ये रंगाई करीब 4000 ईसा पूर्व में की गई थी बांधनी प्रिंट में जो बिंदु बने होते हैं उसका सबसे पहला उदाहरण 6 वीं शताब्दी में गुफा की दीवार पर पाए गए बुद्ध के जीवन को दर्शाने वाले चित्रों में देखा जा सकता है।

हरे और लाल रंग का सबसे खास महत्व

बंधनी में आमतौर पर प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है, जैसे- पीला, लाल, नीला, हरा और काला। हर रंग का अपना-अपना महत्व होता है। उदाहरण के लिए जैसे लाल दुल्हन के लिए सौभाग्य का प्रतीक है और पीला वसंत के समय और खुशी का प्रतीक है।

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बंधेज रंगाई कैसे की जाती है?

बांधनी सूती, शिफॉन, जॉर्जेट, रेशमी कपड़े पर की जाती है। इसकी रंगाई करने के लिए कपड़े को कस कर बांधा जाता है। इसे धागे से बांधकर व गांठ लगाकर ही रंगाई की जा सकती है। कुंड में डालने से पहले धागे से कसकर बांधा जाता है और जब इस धागे को खोला जाता है, तो बंधा हुआ हिस्सा रंगीन हो जाता है। वैसे यह काफी मेहनत का काम है।

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बांधनी दुपट्टे तो बहुत पसंद किए जाते हैं लड़कियां प्लेन सूट के साथ इस तरह के दुपट्टे कैरी करना बहुत पसंद करती हैं जिसे जयपुरी दुपट्टे भी कहा जाता है। वहीं लड़के भी बांधनी प्रिंट पगड़ी पहनना पसंद करते हैं। इस तरह के प्रिंटेड कपड़े में आपकी लुक एकदम देसी वाइब्स देती है।

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