यूरिन इंफेक्शन सिर्फ बड़ों और बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी होती है। यूरिन इंफेक्शन को ब्लैडर इंफेक्शन के तौर पर भी जाना जाता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो ब्लेडर के किसी भी हिस्से में इंफेक्शन होने पर पेशाब के दौरान जलन और दर्द हो सकती है। बच्चों को भी ऐसी समस्या हो सकती है। ऐसे में पेरेंट्स को पता होना चाहिए कि बच्चों को यूरिन इंफेक्शन क्यों होता है और वह बच्चों को इससे कैसे बचाव कर सकते हैं। आइए आपको बताते हैं कि बच्चों में यह समस्या क्यों होती है...
बच्चों को क्यों होती है यूरिन इंफेक्शन?
एक्सपर्ट्स की मानें तो बच्चों में यूरिन इंफेक्शन का पता लगाना बहुत मुश्किल है क्योंकि वह अपनी स्थिति को आसानी से बता नहीं पाते। इसलिए बच्चों को यूरिन इंफेक्शन है या नहीं इस बात का पता करने के लिए बच्चों का यूटीआई टेस्ट किया जाता है। बच्चों में यूटीआई होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे किसी गंदी जगह पर पेशाब करना या फिर छोटे बच्चे को लंबे समय तक डायपर पहनाए रखना। यूटीआई इंफेक्शन होने पर बच्चों में कई सारे लक्षण दिख सकते हैं जिनमें से मुख्य रुप से बुखार है। इसके अलावा यदि बच्चा बार-बार पेशाब कर रहे हैं और पेशाब करते हुए उन्हें तकलीफ होती है तो पेरेंट्स को अलर्ट रहना चाहिए। यह सारी परेशानियां बच्चे की किडनी इंफेक्शन का संकेत भी हो सकती हैं। यूरिन इंफेक्शन होने पर बच्चों में कई सारी समस्याएं जैसे बच्चे को बुखार, कान में दर्द, फ्लू जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।
कैसे करें बचाव?
बच्चों को यूरिन इंफेक्शन से बचाने के लिए पेरेंट्स को उन्हें वॉशरुम का इस्तेमाल करने का तरीका बताना चाहिए। इसके अलावा बच्चे को यह भी जरुर बताएं कि गंदी जगह पर पेशाब करने से इस समस्या का खतरा और भी ज्यादा बढ़ सकता है।
. अपने बेटे या बेटी को यह जरुर कहें कि पब्लिक प्लेस में साफ-सुथरे वॉशरुम का ही इस्तेमाल करें।
. लड़कियों को यह भी बताएं कि यूरिन पास करने के बाद गुप्तंग को जरुर धोएं।
. उन्हें खूब सारा पानी पीने को कहें ताकि उनका शरीर हाइड्रेट रहे और प्रत्येक 3-4 घंटे में बच्चा यूरिन पास करना रहे। इससे भी इंफेक्शन का खतरा कम होगा।
. यदि बच्चे को पहले भी यूरिन इंफेक्शन हो चुकी है तो उसका पानी-पीने का स्तर बढ़ाएं ताकि वह हर 2-3 घंटे में यूरिन पास कर सके।
. अगर बच्चे को यूटीआई है तो उन्हें एंटीबॉयोटिक्स दवाईयां लेने की जरुरत पड़ सकती है हालांकि यह दवाईयां डॉक्टर ट्रीटमेंट के दौरान ही देते हैं। पेरेंट्स होने के फर्ज से आप बच्चे की इंटीमेट हाईजीन का ध्यान रखें। उनके अंडरगार्मेंट रोजाना बदलें। कुछ भी खाने से पहले बच्चे को कहें कि वह अपने हाथ साफ करें। इस तरह बच्चों में यूटीआई का रिस्क कम किया जा सकता है।