ट्रांसजेंडर लोक नृत्यांगना मंजम्मा जोगती (Manjamma Jogati) को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा 9 नवंबर को राष्ट्रपति भवन में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान लोक नृत्य में अतुल्य योगदान देने के लिए दिया गया है। उन्होंने राष्ट्रपति की ओर जाते हुए ना सिर्फ उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित गणमान्य व्यक्तियों को नमस्कार किया बल्कि अवॉर्ड लेने से पहले राष्ट्रपति की बलाएं (बुपी नजर) भी उतारी। बता दें कि मंजम्मा जोगती कर्नाटक जनपद अकादमी की पहली ट्रांसवुमेन अध्यक्ष हैं लेकिन यहां तक पहुंचने की उनकी कहानी काफी संघर्ष भरी है...
15 साल की उम्र में हुआ लड़की होने का अहसास
बल्लारी जिले के कल्लुकंब गांव में जन्मीं मंजुनाथ शेट्टी के रूप में हुआ था। 5 साल की उम्र से ही उन्हें लड़िकयों के साथ खेलना, रहना बहुत पसंद था। यहां तक की उनके हाव-भाव भी लड़कियों से मेल खाते थे। धीरे-धीरे उन्होंने खुद को एक महिला के रूप में पहचानना शुरू किया लेकिन इससे उनके माता-पिता परेशान रहने लगे। यहां तक कि उनके माता पिता उन्हें डॉक्टर के पास ले गए और मंदिरों में कई अनुष्ठान भी करवाए लेकिन मंजुनाथ में कोई बदलान ना आया। तब परिवार ने मान लिया कि वह एक ट्रांसजेंडर हैं। 1975 में वह उन्हें हुलीगेयम्मा मंदिर ले गए जहां ट्रांसजेंडर को जोगप्पा बनाने की दीक्षा दी जाती है।
मंजूनाथ से ऐसे बनी मंजम्मा जोगती
बता दें जोगप्पा ट्रांसजेंडरों का एक प्राचीन समुदाय है जिन्होंने खुद को देवी रेणुका येलम्मा की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है। एक जोगप्पा को देवी से विवाहित माना जाता है और उन्हें अपने परिवारों के घर लौटने की अनुमति नहीं होती है। यहां आकर उनका नाम मंजुनाथ शेट्टी से मंजम्मा जोगती हो गया। इसके बाद उन्हें घर जाने की अनुमति नहीं मिली।
सड़कों पर भीख मांगी और शोषण का दर्द झेला
जोगप्पा बनने के बाद उन्होंने अपनी अकेली यात्रा शुरू की और सड़कों पर भीख मांगी। इस दौरान उनका शारीरिक शोषण भी किया गया, जिससे तंग आकर उन्होंने आत्महत्या करने का फैसला किया। मगर, फिर उनकी मुलाकात एक पिता और पुत्र कालव्वा से हुई, जिन्होंने उन्हें जोगती नृत्य (लोककला नृत्य) सिखाया। यहीं से उनके नए जीवन की शुरूआत हुई। धीरे-धीरे मंजम्मा में के नृत्य में निखार आता गया और कालव्वा ने उन्हें नाटकों में छोटे-मोटे रोल देने लगे।
नृत्य कला से बनाई देशभर में पहचान
कालव्वा की मौत के बाद मंजम्मा ने उनकी मंडली को संभाला। आगे चलकर मंजम्मा जोगती के नाम से शो चलने लगे। मंजम्मा की मेहनत से जोगती नृत्य की देश-विदेश में पहचान बन गई। उन्होंने 1,000 से अधिक चरणों में प्रदर्शन जोगती नृत्य पेश किया।
कर्नाटक जनपद अकादमी की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष
2010 में मंजम्मा को कर्नाटक सरकार से राज्योत्सव पुरस्कार भी दिया गया। 2019 में उन्हें कर्नाटक जनपद अकादमी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जिससे वह इस पद तक पहुंचने वाली पहली ट्रांसजेंडर बन गई। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं कि भारत सरकार ने मुझे यह सम्मान दिया। मैं सभी का धन्यवाद किया, जिसने मंजम्मा को सम्मानित करके ट्रांसजेंडर समुदाय के योगदान पर विचार किया है।'
दूसरी ट्रांसजेंडर पद्म पुरस्कार विजेता
वह पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने वाली दूसरी ट्रांसजेंडर हैं। इससे पहले 2019 में तमिलनाडु की एक प्रसिद्ध नृत्यांगना नर्तकी नटराजो पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।