"हमारे सपने हमेशा विशाल होने चाहिए। हमारी ख्वाहिशें हमेशा ऊंची/हमारी आकांक्षाएं हमेशा ऊंची हमारी प्रतिबद्धता हमेशा गहरी"... ये कहना है रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) की नींव रखने वाले दिग्गज भारतीय उद्योगपति धीरूभाई अंबानी का। बिजनेस टाइकून अपने परिवार से बेहद प्यार करते थे, जिनकी तस्वीरें इस बात की गवाह हैं।
आर्थिक तंगी के चलते भले ही वह 10वीं कक्षा से आगे पढ़ नहीं पाए लेकिन उन्होंने अपनी लगन, मेहनत और आत्मविश्वास के बूते अपने सपने को सच कर दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर लिया। धीरूभाई ने गिरनार की पहाड़ियों पर तीर्थयात्रियों को पकौड़े बेचकर उन्होंने अपनी पहली कमाई शुरू की थी।
जब धीरूभाई की उम्र महज 17 साल थी तब वह अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन चले गए थे। जहां उन्हें एक पेट्रोल पंप पर 300 रुपये प्रति माह सैलरी की नौकरी मिल गई। यमन में रहते हुए ही धीरूभाई ने बड़ा आदमी बनने का सपना देखा था। इसलिए घर लौटने के बाद 500 रुपये लेकर मुंबई के लिए रवाना हो गए।
धीरूभाई ने देश में आते ही एक कंपनी रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन की शुरुआत की, जिसने भारत के मसाले विदेशों में और विदेश का पोलिस्टर भारत में बेचने की शुरुआत कर दी। देखते ही देखते वर्ष 2000 में वह देश के सबसे रईस व्यक्ति बनकर उभरे।
धीरूभाई अंबानी ने अपने ऑफिस की शुरुआत 350 वर्ग फुट का कमरा, एक मेज, तीन कुर्सी, दो सहयोगी और एक टेलिफोन के साथ की थी। भारतीय बिजनेस की दुनिया के बेताज बादशाह धीरूभाई के पद चिन्हों पर चलकर ही आज उनके दोनों बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी सफ़ल बिजनेसमैन में शामिल हैं।
इस सब के बीच यह बात बहुम कम लोग जानते होंगे कि वह अपनी पत्नी कोकिलाबेन को ‘लकी’ मानते थे तभी तो वह हर नए काम का शुभारंभ उनसे ही करवाते थे।
कोकिलाबेन ने एक इंटरव्यू में धीरूभाई को याद करते हुए बताया था कि उनके पति किसी भी नए शहर जाने से पहले उन्हें उस शहर से जुड़ी हर जानकारी निकालने का ज़िम्मा सौंप देते थे और वो अपने प्रोजेक्ट पर फोकस करते थे।
जिस तरह शाहजहां और मुमताज़ के प्यार की निशानी ताजमहल है, उसी तरह 2009 में धीरूभाई और कोकिलाबेन के नाम से एक अस्पताल खोला गया। मुंबई में स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल आज लोगों को नई जिंदगियां दे रहा है।