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कहानी सोमनाथ मंदिर की, जो 17 बार लूटे जाने के बाद भी खड़ा है जस का तस

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 21 Jan, 2022 01:11 PM
कहानी सोमनाथ मंदिर की, जो 17 बार लूटे जाने के बाद भी खड़ा है जस का तस

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर के निकट नवनिर्मित सर्किट हाउस का ऑनलाइन उद्घाटन किया। ज्ञात हो कि इस नए सर्किट हाउस का निर्माण 30 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है और यह सोमनाथ मंदिर के निकट स्थित है। इसमें सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनमें वीआईपी और डीलक्स कमरे, सम्मेलन कक्ष और सभागृह शामिल हैं।

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हिंदू धर्म के उत्थान-पतन का प्रतीक है ये मंदिर 

कमरों की बनावट ऐसी है कि वहीं से लोग समुद्र का नजारा भी देख सकते हैं। वहीं सोमनाथ मंदिर की बात करें तो इसकी 12 ज्योतिर्लिंगों में पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर से कई  अनसुलझे रहस्य जुड़े हैं। यह मंदिर हिंदू धर्म के उत्थान-पतन का प्रतीक रहा है। 

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भगवान चंद्रमा ने बनाया था यह मंदिर

अत्यंत वैभवशाली होने के कारण इतिहास में कई बार इस मंदिर को तोड़ा गया तथा पुनः निर्मित किया गया। कहते हैं कि सोमनाथ के मंदिर को खुद भगवान चंद्रमा ने बनाया था। उस वक्त इसे सोने का बनाया गया था। इसके बाद लंका के राजा रावण ने इसे चांदी से बनवाया। फिर भगवान कृष्ण ने चंदन की लकड़ी से इसे बनवाया। फिर भीम ने इसे पत्थरों से बनवाया। ​जब से इतिहास लिखा गया है तब से अबतक इसको 17 बार लूटा गया। 

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समुंद्र के किनारे स्थित है साेमनाथ मंदिर

समुंद्र के किनारे स्थित होने की वजह से यह जगह बेहद खूबसूरत है। इसकी ऊंचाई लगभग 155 फीट है। मंदिर के चारों ओर विशाल आंगन है। मंदिर का प्रवेश द्वार कलात्मक है। मंदिर तीन भागों में विभाजित है – नाट्यमंडप, जगमोहन और गर्भगृह। मंदिर के बाहर वल्लभभाई पटेल, रानी अहिल्याबाई आदि की मूर्तियां भी लगी हैं। समुद्र किनारे स्थित ये मंदिर बहुत ही सुंदर दिखाई देता है।

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कई बार मुस्लिम शासकों ने किया मंदिर पर आक्रमण 

महमूद गजनवी के आक्रमण के बाद सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने करवाया। इसके बाद जब दिल्ली सल्तनत ने आक्रमण किया तो मंदिर को फिर से हिन्दू राजाओं ने बनवाया। कई बार मुस्लिम शासकों ने इस मंदिर आक्रमण किया। लेकिन जितनी बार ये नष्ट हुआ उतनी बार इसका भव्य निर्माण हुआ। सोमनाथ मंदिर पहले के समय में प्रभासक्षेत्र या फिर प्रभासपाटण के नाम से जाना जाता था। चंद्र के द्वारा स्थापना की जाने की वजह से इस शिवलिंग का नाम सोमनाथ पड़ा है। 
 

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