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‘मेरा पिंडदान भी ऐसे ही करना’, रोए -भावुक हुए Sanjay Dutt ने बेटे से कह दी इतनी बड़ी बात

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 30 Sep, 2024 09:20 PM
‘मेरा पिंडदान भी ऐसे ही करना’, रोए -भावुक हुए Sanjay Dutt ने बेटे से कह दी इतनी बड़ी बात

नारी डेस्कः बॉलीवुड के बहुत से सेलिब्रिटी ऐसे हैं जो अपने कल्चर अपने संस्कारों के साथ जुड़े हुए हैं। संजय दत्त (Sanjay Dutt) भी उनमें शामिल हैं। संजू बाबा ने भी अभी कुछ समय पहले अपने पेरेंट्स समेत पूर्वजों का पिंडदान किया है और साथ ही उन्होंने अपने बेटे से कहा कि उनका उनका पिंड दान भी वैसे ही किया जाए जैसे कि उन्होंने अपने माता-पिता का किया है लेकिन कैसे, संजू बाबा अपने बेटे शहरान दत्त से कैसे पिंडदान करवाना चाहते हैं चलिए आपको बताते हैं। 

‘मेरा पिंडदान ऐसे ही करना, जैसे मैंने यहां आकर किया है‘

संजू बाबा किसी प्रोजेक्ट्स को करते हैं तो वह काम पर पूरे डेडिकेट तो रहते ही हैं, साथ ही में वह फैमिली को भी पूरा समय देते हैं। संजय दत्त ने अभी कुछ ही दिन पहले अपने माता-पिता समेत पूर्वजों का पिंडदान किया है और वह बिहार के गया में अपने परिवार के साथ पहुंचे थे, जहां उन्होंने  अपनी फैमिली को भी पिंडदान का महत्व बताया। इससे पितृ दोष नहीं लगता। इस दौरान संजय दत्त काफी इमोशनल हो गए। भावुक होकर संजय दत्त ने अपने बेटे से एक ही बात कही कि, ‘मेरा पिंडदान ऐसे ही करना, जैसे मैंने यहां आकर किया है।‘

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पेरेंट्स को याद कर भावुक हुए संजू बाबा

बिहार के गया में संजय दत्त ने जनवरी 2024 में अपने पितरों का पिंडदान किया था। दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, संजय दत्त अपने पिंडदान करते हुए इतने ज्यादा भावुक हो गए थे। दरअसल, संजय अपने पेरेंट्स सुनील दत्त (Sunil Dutt) और नरगिस (Nargis) को याद कर भावुक हो गए थे और आंखू में आंसू छलक गए। संजय अपने माता-पिता के लाडले थे। नरगिस तो बेटे को मिले बिना रह नहीं पाती थी जब वह दिल्ली बोर्डिंग स्कूल में पढ़ते थे। वह संजय को मिलने दिल्ली पहुंच जाती थी।  संजय अपने पिता और बॉलीवुड के जाने-माने एक्टर रहे सुनील दत्त के दिल के काफी करीब थे और वैसे ही वह अपनी मां  
नरगिस से जुड़े थे।

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बेटे संजय की पहली फिल्म देखना चाहती थी नरगिस 

नरगिस हमेशा चाहती थी कि वह संजय दत्त को एक अच्छा एक्टर बनता देखें और ऐसा हुआ भी लेकिन बेटे की पहली फिल्म रॉकी जब आई तो नरगिस जिंदगी और मौत की लड़ाई लग रही थी और वह बेटे की मूवी नहीं देख पाई थी। नरगिस का आखिरी समय बहुत कष्ट में रहा। बेटे संजय की पहली फिल्म रॉकी देखने की उनकी प्रबल इच्छा थी, लेकिन रिलीज के 3 दिन पहले ही वे इस दुनिया से चली गईं। नरगिस की मौत पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण हुई थी। उस समय संजय दत्त 22 साल के थे। संजे को इस बात का हमेशा मलाल रहा कि जब उनकी मां दुनिया को अलविदा कह गई तब वह इस हालात में ही नहीं थे कि कुछ समझ पाते। संजे हमेशा ही अपने पेरेंट्स को मिस करते हैं तभी तो अपने पेरेंट्स के पिंडदान के समय वह भावुक हो गए क्योंकि उन्होंने अपने बेटे को भी ऐसे ही पिंडदान करने की बात कह दी। 

 

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