नारी डेस्क: इस साल अगर आप केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम जाने का मन बना रहे हैं तो आपके पास कुछ ही समय बचा है। कुछ दिनों बाद चारों धामों के कपाट बंद होने जा रहे हैं। यहां के कपाट साल में कुछ महीनों के लिए ही खुलते हैं, बर्फ से ढके रहने के कारण उत्तराखंड के ये मंदिर सर्दियों में बंद रहते हैं। । इस वर्ष बद्रीनाथ में 11 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन किये, जबकि केदारनाथ में 13.5 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे।
17 नवंबर को बद्रीनाथ धाम के कपाट होंगे बंद
हिंदू कैलेंडर और खगोलीय पिंडों की स्थिति के आकलन के बाद विजयादशमी के अवसर पर कपाट बंद करने की तिथि और समय का मुहूर्त तय किया जाता है। उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को रात नौ बजकर सात मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट तीन नवंबर को तथा गंगोत्री के कपाट दो नवंबर को बंद होंगे। इसी तरह, रुद्रनाथ के कपाट 17 अक्टूबर को, तुंगनाथ के चार नवंबर को और मदमहेश्वर के कपाट 20 नवंबर को बंद होंगे।
केदारनाथ धाम के कब खुलते हैं कपाट
केदारनाथ धाम भगवान शिव को समर्पित है और यह पंच केदारों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ के कपाट हर साल अक्षय तृतीया के दिन खुलते हैं, जो आमतौर पर अप्रैल या मई के महीने में आता है। यह एक पवित्र दिन माना जाता है। कपाट खुलने की तिथि महाशिवरात्रि के दिन पंचांग देखकर तय की जाती है।कार्तिक पूर्णिमा (दीपावली के बाद आने वाली पूर्णिमा) के दिन केदारनाथ के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
बर्फ से ढक जाता है बद्रीनाथ धाम
बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु के एक रूप, बद्री नारायण, को समर्पित है। यह मंदिर लगभग 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसे चार धामों में से एक माना जाता है। बद्रीनाथ के कपाट भी अक्षय तृतीया या फिर बसंत पंचमी के दिन खुलते हैं। तिथि हर साल पंडितों द्वारा पंचांग के आधार पर तय की जाती है। दीपावली के बाद बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, और इस दौरान मंदिर को बर्फ से ढका रहता है। इस मंदिर के पास स्थित ताप्त कुंड एक गर्म जल स्रोत है, जिसमें स्नान करने का विशेष धार्मिक महत्व है।
कैसे खुलते हैं कपाट
केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खुलने की तिथि तय होने के बाद एक विशेष पूजा होती है, जिसमें विद्वान पुजारी और स्थानीय लोग शामिल होते हैं। खुलने के समय विधिपूर्वक मंत्रोच्चार और वैदिक रीति-रिवाजों के साथ मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं। मंदिर के कपाट खोलने से पहले मंदिर की सफाई और सजावट की जाती है। विशेष रूप से भगवान के विग्रह को स्नान करवा कर नए वस्त्र और आभूषणों से सजाया जाता है। इन धामों का धार्मिक, ऐतिहासिक, और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। भक्तजन हर साल इन तीर्थस्थलों की यात्रा कर भगवान की कृपा पाने की कामना करते हैं।