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इस बार 32 घंटे का है निर्जला एकादशी का व्रत,  श्री हरि जी की आरती पढ़ने से मिलेगा पूजा का पूरा फल

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 06 Jun, 2025 12:08 PM
इस बार 32 घंटे का है निर्जला एकादशी का व्रत,  श्री हरि जी की आरती पढ़ने से मिलेगा पूजा का पूरा फल

नारी डेस्क: निर्जला एकादशी साल की सभी एकादशियों में श्रेष्ठ मानी गई है।  यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन विशेष रूप से जल का भी त्याग कर उपवास किया जाता है, इसलिए इसे "निर्जला" कहा गया है। यह व्रत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष- चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। इस बार गृहस्थों के लिए यह व्रत 32 घंटे 21 मिनट तक रहेगा। व्रत सूर्योदय से शुरू होगा और पारण के समय तक चल सकता है.

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निर्जला एकादशी व्रत के नियम 

इस दिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। भगवान विष्णु की पूजा, व्रत कथा का पाठ और आरती करें। भजन-कीर्तन और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें तुलसी पत्र से भगवान विष्णु को भोग लगाएं। इस दिन झूठ बोलने, क्रोध, वाद-विवाद, और निंदात्मक बातों से बचें। रात्रि में जागकर भगवान विष्णु का ध्यान करें। द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें, सूर्योदय के बाद ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा और अन्न-पानी देकर व्रत पूर्ण करें।

 

व्रत का समय 

पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी की तिथि 6 जून 2025 को सुबह 2:15 बजे से शुरू होकर 7 जून 2025 को सुबह 4:47 बजे समाप्त होगी। हरि वासर का समापन 7 जून को सुबह 11:25 बजे होगा। इस दिन व्रत करने वाले गृहस्थों के लिए यह व्रत 32 घंटे 21 मिनट तक रहेगा. व्रत सूर्योदय से शुरू होगा और पारण के समय तक चल सकता है।  व्रत का पारण करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 31 मिनट तक है। 

 

निर्जला एकादशी व्रत कथा (संक्षेप में)

महाभारत काल में भीमसेनको एकादशी व्रत कठिन लगता था, क्योंकि वे भोजन के बिना रह नहीं सकते थे। उन्होंने महर्षि वेदव्यास से इसका उपाय पूछा। तब व्यासजी ने उन्हें निर्जला एकादशी करने की सलाह दी  जो सभी 24 एकादशियों का फल देती है। इस व्रत को करने से भीम को मोक्ष का मार्ग प्राप्त हुआ और तभी से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।

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भगवान विष्णु की आरती

आरती "ॐ जय जगदीश हरे"
ॐ जय जगदीश हरे  
स्वामी जय जगदीश हरे।  
भक्त जनों के संकट  
दास जनों के संकट  
क्षण में दूर करे॥ ॐ जय...

जो ध्यावे फल पावे  
दुख विनसे मन का  
स्वामी दुख विनसे मन का  
सुख संपत्ति घर आवे॥ ॐ जय...

मात-पिता तुम मेरे  
शरण गहूं मैं किसकी  
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी  
तुम बिन और न दूजा॥ ॐ जय...

आरती पूर्ण कीजै  
मनवांछित फल दीजै  
स्वामी मनवांछित फल दीजै  
दुख-दारिद्र्य हरिजै॥ ॐ जय...
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निर्जला एकादशी पर क्या दान करें

-जल पात्र (घड़ा), पंखा, छाता, जूते, अन्न, वस्त्र और फल
- जरूरतमंदों को जल पिलाना और सेवा करना बहुत पुण्यदायक माना जाता है।


 यदि किसी कारणवश आप पूरा दिन निर्जल नहीं रह सकते तो फलाहार के साथ व्रत कर सकते हैं, परंतु इसका पूर्ण फल निर्जला व्रत से ही प्राप्त होता है।

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