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नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को लगाएं ये प्रिय भोग, जानें उनकी कृपा प्राप्ति के उपाय

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 06 Oct, 2024 11:05 AM
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को लगाएं ये प्रिय भोग, जानें उनकी कृपा प्राप्ति के उपाय

नारी डेस्क: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर 2024 से हुई है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। अब तक तीन स्वरूपों की पूजा हो चुकी है, और चौथे दिन मां कूष्मांडा की आराधना की जाती है। लेकिन इस बार चौथे दिन की पूजा 6 अक्टूबर को नहीं होगी। इसका कारण चतुर्थी तिथि का उदयातिथि से मेल न खाना है, जिसके कारण पूजा 7 अक्टूबर 2024 को की जाएगी। आइए जानते हैं, मां कूष्मांडा की पूजा विधि, उनकी कथा, मंत्र, और पसंदीदा भोग के बारे में विस्तार से।

क्यों नहीं हो रही आज मां कूष्मांडा की पूजा?

आज 6 अक्टूबर को नवरात्रि का चौथा दिन है, लेकिन इस बार तिथि की स्थिति के कारण मां कूष्मांडा की पूजा आज नहीं की जाएगी। इसके पीछे कारण यह है कि चतुर्थी तिथि का आरंभ तो 6 अक्टूबर को सुबह 7:49 बजे हो रहा है, लेकिन यह तिथि अगले दिन 7 अक्टूबर को सुबह 9:47 बजे तक चलेगी। उदयातिथि के अनुसार नवरात्रि की पूजा की जाती है, इसलिए मां कूष्मांडा की पूजा 7 अक्टूबर को होगी।

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मां कूष्मांडा की उत्पत्ति कथा

मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की सृष्टिकर्ता माना जाता है। जब संसार में अंधकार था और कोई सृष्टि नहीं थी, तब देवी कूष्मांडा ने अपने हल्के मुस्कान (ईषत्‌ हास्य) से ब्रह्मांड की रचना की थी। संस्कृत में 'कूष्मांडा' शब्द का अर्थ है 'कुम्हड़ा' और इसीलिए उन्हें सृष्टि की आदिशक्ति भी कहा जाता है। मां के आठ हाथ हैं, जिनमें वे जपमाला, कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा धारण करती हैं। उनका वाहन सिंह है, और उनका स्वरूप तेजस्वी है।

मां कूष्मांडा की पूजा विधि

 नवरात्रि के चौथे दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लें और पूजा की तैयारी करें। सबसे पहले माँ दुर्गा और उनके चौथे स्वरूप माँ कूष्मांडा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं। सिंदूर, अक्षत, पुष्प, धूप, और कुमकुम अर्पित करें। माँ कूष्मांडा को पीले रंग का पुष्प विशेष प्रिय है, इसलिए पीला कमल या पीले रंग के फूल अर्पित करें। मां कूष्मांडा का प्रिय भोग मालपुआ है, जिसे चढ़ाने से वे प्रसन्न होती हैं। इसके साथ ही हरी इलाइची और सौंफ का भोग भी अर्पित कर सकते हैं। मां कूष्मांडा की स्तुति के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा चालीसा का पाठ और उनके विशेष मंत्रों का जाप करें। अंत में आरती करें और हाथ जोड़कर भूल-चूक की क्षमा मांगें।

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मां कूष्मांडा की पूजा से लाभ

मां कूष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार की परेशानियाँ दूर हो जाती हैं। मान्यता है कि वे दुख, दरिद्रता और रोगों से मुक्ति दिलाती हैं। उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। सृष्टि की आदिशक्ति होने के कारण उनकी उपासना से जीवन में नए आरंभ और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

मां कूष्मांडा के प्रिय भोग

मां कूष्मांडा को मालपुआ का भोग विशेष रूप से प्रिय है। इसके अलावा, वे हरी इलाइची और सौंफ से भी प्रसन्न होती हैं। इसलिए इन चीजों का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है। यह भोग चढ़ाने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।

 मां कूष्मांडा के मंत्र

1. सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।  
   दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

2. या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।  
   नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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शुभ मुहूर्त

चतुर्थी तिथि का आरंभ 6 अक्टूबर की सुबह 7:49 बजे से हो रहा है, और यह 7 अक्टूबर की सुबह 9:47 बजे तक रहेगी। इसलिए उदयातिथि के अनुसार 7 अक्टूबर को माँ कूष्मांडा की पूजा का सही दिन माना जाएगा। इस दिन पूजा करने का सबसे शुभ मुहूर्त सूर्योदय से लेकर प्रातः 11:30 बजे तक का है। 

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा विशेष महत्व रखती है। वे सृष्टि की रचनाकार मानी जाती हैं और उनकी पूजा से जीवन में हर प्रकार की बाधाएं समाप्त होती हैं। इसलिए विधि-विधान से उनकी पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

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