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सिर से उठा पिता का साया लेकिन नहीं टूटा हौंसला, बस सर्विस कर घर का सहारा बनीं सोनी

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 16 Dec, 2020 03:37 PM
सिर से उठा पिता का साया लेकिन नहीं टूटा हौंसला, बस सर्विस कर घर का सहारा बनीं सोनी

बच्चों की जिंदगी में पिता का सबसे ज्यादा योगदान होता है, जो डांट, प्यार और सुरक्षा से उनके भविष्य को सींचता है। लेकिन अगर सिर से पिता का साया ही उठ जाए तो हर किसी का हौंसला टूट जाता है। मगर, हरियाणा की रहने वाली 22 साल की सोनी के सिर से पिता का साया उठा तो उसने हौंसला नहीं छोड़ा और पापा की परी के बजाए उनका बेटा बन परिवार के लिए उठ खड़ी हुई।

सिर से उठा पिता का साया लेकिन नहीं टूटा हौंसला

हिसार के राजली गांव की रहने वाली सोनी की नौकरी लगने से ठीक 5 दिन पहले ही उनके पिता का निधन हो गया। उनके पिता की मौत से घर में तनावभरा माहौल था लेकिन सोनी ने खुद को संभाला और परिवार का सहारा बन खड़ी हो गई। उन्होंने हरियाणा रोडवेज के हिसार डिपो में मैकेनिकल हेल्पर के पद पर नौकरी ज्वॉइन की।

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परिवार का सहारा बनी सोनी

सोनी कुल 8 भाई-बहन है, जिसमें वह तीसरे नंबर पर है। बीमारी के चलते उनके पिता का निधन हो गया। सोनी की मां हाउसवाइफ है , जिसके कारण सोनी ने परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेने का निर्णय किया। वह रोजाना हिसार डिपो में बसों की सर्विस करके घर खर्च चला रही है। हर कोई उनका काम देखकर हैरान रह जाता है।

मार्शल आर्ट की बेहतरीन खिलाड़ी हैं सोनी

बता दें कि सोनी मार्शल आर्ट के पेंचक सिलाट गेम की बेहतरीन खिलाड़ी रह चुकी हैं। यही नहीं, उन्होंने नेशनल स्तर पर लगातार तीन बार गोल्ड मैडल भी जीतें। खेल कोटे के जरिए ही उन्हें ग्रुप डी में बस डिपो में नौकरी मिली है।

पिता ने किया था खेलने के लिए प्रेरित

पिता की लाडली सोनी ने उनकी ख्वाहिश पूरी करने के लिए ही मार्शल आर्ट खेलना शुरू किया था। सोनी के पिता उन्हें हमेशा से ही खिलाड़ी बनाना चाहते थे। उनका सपना था कि सोनी देश के लिए गोल्ड मैडल जीतें, जो उन्होंने पूरा भी किया। उन्होंने साल 2016 में मॉशर्ल खेलना शुरू किया था, जिसके बाद लगातार स्वर्ण पदक जीते।

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पहले कबड्डी फिर शुरू किया पेंचक सिलाट खेलना

मार्शल आर्ट खेलने से पहले सोनी कबड्डी में भी हाथ अजमा चुकी हैं। उन्होंने राजली गांव में ही कबड्डी खेलना शुरू किया था लेकिन टीम ना बन पाने के कारण उन्हें यह खेल छोड़ना पड़ा। फिर गांव की एक सहेली से मुलाकात करने के बाद उन्हें  पेंचक सिलाट गेम के बारे में पता चला और वह तुरंत ही उसे ज्वॉइन करने पहुंच गई। कुछ दिनों में ही सोनी इस खेल में एक्सपर्ट हो गई थी।

वाकई... पिता के निधन के बाद जिस तरह सोने से खुद को वह परिवार को संभाला वो काफी काबिले तारीफ है क्योंकि पिता का सिर से उठ जाए तो व्यक्ति को कोई रास्ता नजर नहीं आता, खासकर जब घर की बुनियाद उन्हीं पर टिकी हो।
 

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