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अमेरिका की वैक्सीन हुई फेल तो भारतीय प्रोफेसर सुमी ने बनाया नया टीका

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 09 Sep, 2020 10:32 AM
अमेरिका की वैक्सीन हुई फेल तो भारतीय प्रोफेसर सुमी ने बनाया नया टीका

कोरोना वायरस से निपटने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं, जिनमें कई देशों के साथ अमेरिका और भारत का टीका भी आखिरी ट्रायल में था। इसी बीच खबर आई है कि अमेरिका की एस्ट्राजेनेका कंपनी ने वैक्सीन के आखिरी ट्रायल पर रोक लगा दी है। वहीं, भारत द्वारा नई वैक्सीन बनाई जाने की खबरें आ रही हैं।

अमेरिका की वैक्सीन हुई फेल

दरअसल, अमेरिका की एस्ट्राजेनेका कंपनी द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन से एक व्यक्ति गंभीर प्रतिकूल रूप से बीमार पड़ गया, जिसके चलते उन्होंने ट्रायल रोकने का फैलसा किया है। हालांकि अभी इस बात की जानकारी नहीं दी गई कि वैक्सीन का साइड-इफैक्ट किस तरह देखने को मिला। फिलहाल वैक्सीन को लेकर थोड़ी ओर रिसर्च की जा रही है, ताकि इसे पूरी तरह सुरक्षित बनाया जा सकता है।

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भारत ने बनाई नई कोरोना वैक्सीन

खुशी की बात यह है कि भारतीय प्रोफेसर सुमी बिश्वास ने कोरोना की एक नई वैक्सीन बनाई है, जिसका ह्यूमन ट्रायल भी शुरू हो चुका है। बता दें कि प्रोफेसर सुमी ने साल 2017 में ब्रिटेन में ही स्पाई बायोटेक नाम की कंपनी शुरू की थी, जिसकी CEO वह खुद है। कोरोना की नई वैक्सीन इसी कंपनी द्वारा तैयार की गई है। उन्होंने यह वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कंपनी के साथ मिलकर बनाई है।

ऑस्ट्रेलिया में चल रहा वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल

बता दें कि भारतीय वैज्ञानिक द्वारा बनाई गई इस नई वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल ऑस्ट्रेलिया में किया जाएगा, जिसका फेज 1 और 2 शुरू हो चुका है। यह वैक्सीन सैकड़ों स्वयंसेवकों दी जाएगी, जिसके नतीजे भी जल्द ही घोषित हो जाएंगे।

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कैसे काम करेगी नई वैक्सीन?

खबरों के मुताबिक, यह नई वैक्सीन हेपेटाइटिस बी एंटीजन के वायरस के कण को तोड़ेगी। कोरोना के वायरस स्पाइक प्रोटीन से जुड़े हुए हैं, जो शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाता है। वैक्सीन के जरिए शरीर में इम्यूनिटी बढ़ेगी, जिससे वायरस से लड़ने में मदद मिलेगी।

कौन हैं प्रोफेसर सुमी बिश्वास? 

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सुमी बिश्वास ब्रिटेन की रहने वाली हैं। बंगलौर यूनिवर्सिटी से माइक्रोबायोलॉजी की डिग्री लेने के बाद 2005 में वह ब्रिटेन जाकर बस गई थी। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से PHD की डिग्री लेकेर कई सालों तक मलेरिया वैक्सीन पर जेनर इंस्टीट्यूट के साथ काम किया। इसके अलावा वह मशहूर वैज्ञानिक सारा गिलबर्ट के साथ भी काम कर चुकी हैं।

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