नारी डेस्क: बॉलीवुड एक्टर इमरान हाशमी को अक्सर लोग उनके फिल्मों के किरदारों और ‘सीरियल किसर’ की छवि से पहचानते हैं। लेकिन कैमरे से दूर, उनकी असल जिंदगी एक जिम्मेदार पिता और मजबूत इंसान की कहानी बयां करती है। साल 2014 में जब उनके बेटे अयान को कैंसर हुआ था, तब उनके पूरे परिवार की दुनिया पलट गई थी। उस वक्त अयान की उम्र सिर्फ तीन साल और दस महीने थी। हाल ही में एक इंटरव्यू में इमरान ने उस मुश्किल दौर को याद किया और अपना दर्द और जज़्बा साझा किया।
पॉडकास्ट में छलका दर्द
इमरान हाशमी हाल ही में यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया के पॉडकास्ट ‘द रणवीर शो’ में शामिल हुए। बातचीत के दौरान जब उनसे पूछा गया कि उनकी जिंदगी का सबसे कठिन समय कौन-सा था तो उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के बताया कि उनके बेटे की बीमारी का वक्त उनके लिए सबसे बुरा था। इमरान ने बताया, “ये जनवरी 2014 की बात है। हम सब ताज लैंड्स एंड होटल में ब्रंच कर रहे थे। तभी मेरे बेटे अयान ने अपनी मां से कहा कि वो ठीक महसूस नहीं कर रहा है और कमरे में चलना चाहता है।”
उन्होंने आगे कहा, “उसके पेशाब में खून आ रहा था। ये सुनते ही हम सब घबरा गए। उस हंसते-खेलते दिन की जगह एक डरावना सपना हमारी ज़िंदगी में आ गया।” उसी दिन वे लोग तीन घंटे के अंदर डॉक्टर के पास पहुंचे। टेस्ट्स और रिपोर्ट्स के बाद जो बात सामने आई, उसने सबको तोड़ दिया — अयान को कैंसर था। “अगले ही दिन उसका ऑपरेशन करना पड़ा। फिर शुरू हुआ कीमोथेरेपी का लंबा और मुश्किल इलाज। सबकुछ बहुत जल्दी हुआ और हम सबके पास सोचने का भी वक्त नहीं था।”
परिवार के लिए सबसे बड़ा झटका
इमरान ने बताया कि उनका परिवार इस दर्दनाक हादसे के लिए बिलकुल तैयार नहीं था। उन्होंने कहा, “हमारे घर में पहले कभी किसी को ऐसी कोई गंभीर बीमारी नहीं हुई थी। सबकुछ ठीक चल रहा था — मेरा करियर अच्छा चल रहा था, शादी हो चुकी थी, बच्चा था, जिंदगी में कोई परेशानी नहीं थी।”“लेकिन एक झटके में सबकुछ बदल गया।”
अयान को नहीं याद पर असर अब भी है
जब उनसे पूछा गया कि क्या अयान को उस समय की बातें याद हैं, तो इमरान ने बताया,अब अयान 15 साल का हो गया है। उसे उस वक्त की ज्यादा बातें याद नहीं हैं क्योंकि वह बहुत छोटा था। लेकिन इमरान मानते हैं कि वो अनुभव कहीं न कहीं उसके सबकॉन्शियस माइंड में जरूर बस गया होगा।

इस दर्दनाक अनुभव पर लिखी किताब
इमरान हाशमी ने इस अनुभव को एक किताब में भी लिखा है। इसका उद्देश्य है कि वो अपनी कहानी से दूसरे माता-पिता और कैंसर से जूझ रहे लोगों की मदद कर सकें। उन्होंने कहा,
“ये समय मेरे लिए बहुत दर्दनाक था। मैंने जो झेला, वो मैं किसी और को नहीं झेलते देखना चाहता।” “शायद मेरा बेटा भी एक दिन ये किताब पढ़े। लेकिन अभी नहीं। अभी मेरे लिए भी इसे पढ़ना बहुत मुश्किल है।”
इमरान हाशमी की ये कहानी बताती है कि पर्दे पर चाहे वो किसी भी रोल में नजर आएं, लेकिन असल जिंदगी में वो एक बहादुर पिता हैं जिन्होंने अपने बेटे के लिए हर दर्द सहा।