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10 KM पैदल चल पिता की शिकायत करने डीएम के पास पहुंची 11 साल की मासूम

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 18 Nov, 2020 01:52 PM
10 KM पैदल चल पिता की शिकायत करने डीएम के पास पहुंची 11 साल की मासूम

कहते हैं अगर हम गलत के खिलाफ और खुद के हक के लिए आवाज नहीं उठाएंगे तो दुनिया की कोई भी ताकत हमें इंसाफ नहीं दिला सकती है। अपने हक और अधिकार के लिए हमें खुद  ही आवाज उठानी पड़ती है और एक ऐसा ही मामला सामने आया है ओडिशा से, जहां एक बेटी अपने अधिकार और हक की लड़ाई के लिए पिता के खिलाफ जाकर भी खड़ी हो गई। पैदल चलते हुए बच्ची कलेक्टर ऑफिस पहुंची और अपने साथ हो रहे अन्याय के लिए न्याय मांगा।

पिता की शिकायत के लिए 10 किलोमीटर पैदल चली 

ओडिशा के केंद्रपाड़ा की बच्ची ने बिना कुछ सोचे पिता के खिलाफ जाकर खड़ी हो गई। पिता की शिकायत करने वाली लड़की 10 किलोमीटर पैदल चली। रास्ते में बहुत रूकावटें आईं लेकिन पहाड़ी रस्ते को पूरी हिम्मत से पार कर वह जिलाधिकारी के कार्यालय तक पहुंची। इसकी तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। 

बच्ची की शिकायत-पिता देता है खराब-बासी खाना 

बच्ची कि शिकायत है कि उसके पिता उसे खराब खाना देते हैं। बच्ची ने कहा कि सरकार से मिलने वाला राशन और धन वह रख लेते हैं।

बच्ची की शिकायत पर डीएम ने दिए निर्देश

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बच्ची की शिकायत के बाद केंद्रपाड़ा के डीएम सामर्थ वर्मा ने अधिकारियों को निर्देश दिए और कहा कि राज्य से मिलने वाले लाभ सीधे छात्रा के खाते में भेजे जाएं। इतना ही नहीं डीएम ने कहा कि जो भी चावल और रुपये अब तक बच्ची के पिता को दिए गए हैं वह सब वापस लेकर बच्ची को दिए जाएं।

लॉकडाउन के कारण मिड डे मील मिलना हुआ बंद 

खबरों की मानें तो बच्ची सरकारी स्कूल में पढ़ती है और कोरोना के लॉकडाउन के कारण बच्चों को मिलने वाला मिड डे मील भी बंद हो गया जिसके बाद राज्य सरकार ने बच्चों के नाम रोजाना आठ रुपए उनके माता-पिता के खाते में भेजेने की शुरुआत की थी इसका कारण था कुछ बच्चों के खाते न होना। वहीं हर बच्चे के लिए रोजाना 150 ग्राम चावल देने की व्यवस्था शुरू हुई थी। 

बच्ची के सिर से उठ चुका है मां का साया

बच्ची की मानें तो तकरीबन 2 साल पहले उसकी मां का निधन हो गया था जिसके बाद उसके पिता ने दूसरी शादी करवा ली और अब वह अपने मामा के पास रहती है। बच्ची ने ये भी बताया कि उसका बैंक अकाउंट है लेकिन इसके बावजूद उसे मिलने वाले लाभ की रकम पिता के खाते में जाती है। सरकार से मिलने वाला चावल भी स्कूल से उसके पिता ही लेते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर माता-पिता ही अपनी संतान के साथ ऐसा करेंगे तो गैरों से आप कैसी उम्मीद रख सकते हैं। 

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