नारी डेस्क: आधुनिक जीवनशैली में महिलाओं के सामने एक गंभीर समस्या आ रही है - पब्लिक प्लेसेस और ऑफिस में टॉयलेट जाने से बचना। चाहे कितना भी तेज प्रेशर क्यों न आ रहा हो, सफाई की चिंता या शर्म के कारण कई महिलाएं पॉटी रोकने को मजबूर हो जाती हैं। लेकिन यह आदत आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। शरीर की प्राकृतिक जरूरतों को रोकना गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। 'मल त्याग को बार-बार रोकने से न सिर्फ पेट की समस्याएं बढ़ती हैं, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है,' डॉक्टर ने बताया।
कब्ज और आंतों में खिंचाव की गंभीर समस्या
पॉटी रोकने की आदत का सबसे पहला और गंभीर परिणाम कब्ज की समस्या है। जब आप बार-बार मल त्याग को टालती हैं, तो आंतों में मल सख्त हो जाता है, जिससे बाद में इसे निकालना मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति क्रोनिक कब्ज का रूप ले सकती है, जो पेट में भारीपन, एसिडिटी और अपच की समस्या को बढ़ाता है। इसके साथ ही आंतों में खिंचाव की समस्या भी शुरू हो जाती है। मल को रोकने से पेट में तेज ऐंठन, दर्द और असुविधा महसूस होने लगती है। कई बार यह दर्द इतना बढ़ जाता है कि आपकी डेली रूटीन पूरी तरह प्रभावित हो जाती है। पेट में लगातार दबाव और तनाव के कारण आंतों की मांसपेशियों पर अतिरिक्त जोर पड़ता है, जो लंबे समय में गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।

पाइल्स और फिशर का दर्दनाक अनुभव
कब्ज की समस्या बढ़ने पर सबसे गंभीर परिणाम पाइल्स और फिशर के रूप में सामने आता है। जब आप मल त्याग के लिए जोर लगाती हैं, तो गुदे की नसों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। इस स्थिति में बवासीर होने का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। 'पाइल्स और फिशर की स्थिति अत्यंत दर्दनाक होती है, जिसमें कभी-कभी खून भी आने लगता है।' यह समस्या महिलाओं के लिए विशेष रूप से परेशानी का कारण बनती है क्योंकि इससे बैठने, चलने और दैनिक कार्यों में भी असहनीय दर्द होता है। फिशर की स्थिति में गुदे के आसपास की त्वचा में दरारें पड़ जाती हैं, जो हर बार मल त्याग के दौरान तेज जलन और दर्द का कारण बनती हैं। यह दुष्चक्र इतना गंभीर हो जाता है कि महिलाएं मल त्याग से और भी ज्यादा बचने लगती हैं।
पाचन तंत्र पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव
मल को लंबे समय तक रोकने से पाचन तंत्र पर गंभीर दबाव पड़ता है। इस आदत के कारण खाना पचाने में अधिक समय लगता है और पेट में एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है। महिलाओं को उल्टी जैसी परेशानी भी महसूस होने लगती है। डॉक्टर के अनुसार, 'पाचन तंत्र में गड़बड़ी के कारण पेट में अम्ल का स्राव बढ़ जाता है, जो पेट के अल्सर का कारण बन सकता है।' यह स्थिति डाइजेस्टिव सिस्टम से जुड़ी अन्य गंभीर समस्याओं को भी जन्म देती है। पाचन प्रक्रिया में बाधा के कारण पेट में गैस का बनना, पेट फूलना और खाने के बाद भारीपन की समस्या लगातार बनी रहती है। यह सब मिलकर महिलाओं की जीवनशैली को पूरी तरह प्रभावित कर देता है।

शरीर में टॉक्सिन्स का जमाव और इसके गंभीर परिणाम
मल त्याग में देरी करने या इसे बार-बार रोकने से आपके शरीर में टॉक्सिक पदार्थ वापस जमा होने लगते हैं। यह स्थिति महिलाओं के लिए विशेष रूप से हानिकारक है क्योंकि इससे शरीर की प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया बाधित हो जाती है। 'जब मल शरीर में लंबे समय तक रुकता है, तो हानिकारक तत्व वापस रक्त में मिल जाते हैं।' इसके कारण महिलाओं में लगातार थकान, चिड़चिड़ाहट और तेज सिरदर्द की समस्या बढ़ जाती है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि त्वचा संबंधी समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। चेहरे पर दाग-धब्बे, मुंहासे और त्वचा की चमक का खत्म होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। शरीर को स्वस्थ और साफ रखने के लिए नियमित मल त्याग अत्यंत आवश्यक है।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव और डॉक्टरी सलाह
पॉटी रोकने का सबसे गंभीर परिणाम मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। पेट में भारीपन और लगातार दर्द के कारण महिलाओं में चिड़चिड़ाहट बढ़ जाती है। काम में मन नहीं लगता और नींद भी प्रभावित होती है। डॉक्टर की सलाह के अनुसार इससे बचने के लिए सुबह उठकर सबसे पहले टॉयलेट जाने की आदत डालें। अपनी डाइट में फाइबर से भरपूर फल, सब्जियां और दालें शामिल करें। दिनभर में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पिएं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चाहे कितने भी व्यस्त हों, शरीर के संकेतों को नजरअंदाज न करें। घर और ऑफिस दोनों जगह स्वच्छता का ध्यान रखें ताकि आप मल रोकने के लिए मजबूर न हों।