रुखमाबाई इनिशिएटिव्स (https://www.rukhmabai.com/) तीन साल पुराना कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य एसटीईएम क्षेत्रों (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में भारतीय महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है। इस संस्था की मानें तो उद्योग में सफल भारतीय महिलाओं की उपलब्धियों को उजागर करना और उनकी सराहना करने से युवाओं के लिए रोल मॉडल तैयार होगा।
महिलाओं की कहानियों को किया जाए उजागर
रुखमाबाई इनिशिएटिव्स को कई भारतीय महिलाओं की शक्तिशाली कहानियां मिल चुकी हैं, लेकिन वह इनमें से 15-20 महिलाओं की कहानियों को ही उजागर कर पाते हैं। ऐसे में संस्था मीडिया आउटलेट्स से समर्थन मांग रहे हैं ताकि बाकी महिलाओं की अनसुनी कहानियों को रिपोर्ट किया जाए और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर व्यापक रूप से साझा किया जाए।
रुखमाबाई ने किए कई सराहनीय कार्य
रुखमाबाई इनिशिएटिव्स को 2020 में भारत की पहली अभ्यास करने वाली महिला डॉक्टरों में से एक के सम्मान में लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) में भारतीय महिलाओं की उपस्थिति को पहचानने और सुधारने की दिशा में काम करना था। रुखमाबाई राउत ब्रिटिश भारत में शुरुआती अभ्यास करने वाली डॉक्टरों में से एक थीं. रुखमाबाई ने उस वक्त सराहनीय कार्य किए थे, जब महिलाओं को विशेष अधिकारों से वंचित रखा जाता था।
महिला अधिकारों के लिए लड़ी रखमाबाई
रखमाबाई ने अपने पति के साथ जाने से इनकार कर दिया और उस ज़माने में इस पर काफ़ी हंगामा मचा, वो इस बात पर अड़ी रहीं कि उस विवाह बंधन में वो नहीं रहेंगी जिसमें उनकी मर्जी नहीं है। बाद में रुखमाबाई ने लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन से मेडिकल की डिग्री हासिल की। माना जाता है कि रखमाबाई राउत भारत में प्रैक्टिस करने वाली पहली महिला डॉक्टर थी। भारत में 'सहमति की उम्र' को लेकर रखमाबाई का योगदान काफ़ी बड़ा था। वो महिला अधिकारों को लेकर टाइम्स ऑफ़ इंडिया में 'द हिंदू लेडी' के नाम से लेख भी लिखती थी।
कई महिलाओं को किया प्रेरित
वह अपनी डॉक्टरी में सफल होने के बाद रुकीं नहीं इसके बाद वह बाल विवाह के खिलाफ लिख कर समाज सुधारक का कार्य भी करती रही। रुक्माबाई आनेवाले सालों में कई अन्य महिलाओं को डॉक्टर बनने और सामाजिक कार्य करने के लिए प्रेरणा देती रहीं। फिल्म निर्देशक अनंत महादेवन ने उनके जीवन व चरित्र से प्रभावित होकर, उनके जीवन पर आधारित फिल्म ‘रुक्माबाई भीमराव राउत’ बनायीं है। इस फिल्म में सशक्त और बेबाक रुक्माबाई का किरदार तनिष्ठा चटर्जी ने निभाया है।
महिलाओं के लिए रास्ता आसान करता है रुखमाबाई इनिशिएटिव्स
का कहना है कि करियर प्राप्ति के असंतोषजनक स्तर, बहिष्करण नीतियों और समर्थन और सलाह की सामान्य कमी के परिणामस्वरूप अधिक से अधिक महिलाएं एसटीईएम करियर से बाहर हो रही हैं। लेकिन अगर हमें समान प्रगति और वैज्ञानिक सफलता की अधिक गति और गुंजाइश हासिल करनी है, तो इस चुनौती का सामना करना होगा। ऐसे में रुखमाबाई बाधाओं को पहचानने और विज्ञान के लिए रास्ता आसान करने का एक विनम्र प्रयास।