कहते हैं बच्चों के लिए पेरेंट्स उनकी पूरी दुनिया होती है। शायद इसलिए ही मां-बाप को भगवान का दर्जा दिया जाता है। बचपन में हर बच्चे के लिए उसके पेरेंट्स से बढ़कर कुछ भी नहीं होता है। वहीं बच्चे की जरूरतों, खुशी को भी हर मां-बाप बखूबी समझते व पूरा करते हैं। साथ ही बच्चा भले एक हो या इससे अधिक सभी पेरेंट्स उनसे एक समान प्यार व ख्याल करते हैं। वहीं माता-पिता के इस स्नेह के लिए उनका धन्यवाद करने के लिए 'National Parents Day' यानि 'राष्ट्रीय माता पिता दिवस' मनाया जाता है। मगर बड़े होने पर कई बच्चों को मां-बाप बोझ क्यों लगने लगते हैं? वहीं इसके कारण कुछ बच्चे को उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं तो कई उनके बारे में बिना सोचे-समझे घर से ही निकाल देते हैं। चलिए आज हम आपको इससे जुड़ी कुछ खास बाते बताते हैं...
खुद को ज्यादा समझदार समझना
अक्सर बच्चे बड़े होने पर खुद को ज्यादा समझदार समझने लगते हैं। उनके मुताबिक वे जो भी करते हैं वह एकदम सही होता है। ऐसे में वे अपने काम में पेंरेट्स की दखलअंदाजी बर्दाशत नहीं कर पाते हैं। ऐसे में कई बच्चे पेरेंट्स को छोड़ देते हैं। मगर बच्चे अक्सर यह भूल जाते हैं कि उनके पेरेंट्स ने उनसे अधिक दुनिया देखी होती है। ऐसे में हर चीज व परिस्थिति को समझने का उन्हें उनके अधिक समझ होती है।
शादी के बाद बच्चे का बदलना
हर मां-बाप का सपना होता है कि उनके बच्चे की शादी अच्छे पार्टनर से हो। साथ ही वह अपनी मैरिड लाइफ हंसी-खुशी से बीताएं। मगर कई बार बच्चा अपनी शादीशुदा जिंदगी में इतना बिजी हो जाता है कि अपने पेरेंट्स को भूलने लगता है। वहीं कई लोग तो उनसे अलग रहने लगते हैं जो कि बेहद गलत है।
बुढ़़ापे में पेरेंट्स को बोझ समझना
बचपन में बच्चे को मामूली चोट लगने व बीमार होने भी पेरेंट्स का दिल बैठ जाता है। ऐसे में वे बच्चे को स्वस्थ रखने व उनकी खुशी का बखूबी ध्यान रखते हैं। ठीक उसी तरह बुढ़ापे में पेरेंट्स भी बच्चे की तरह हो जाते हैं। ऐसे में खास देखभाल की जरूरत होती है। मगर इस दौरान पेरेंट्स का ध्यान रखने की जगह पर बच्चों के लिए वे बोझ बनने लगते हैं। ऐसे में वे उनकी सेवा करने की जगह पर उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ना सही समझते हैं जो कि बेहद गलत है।
बच्चे का काम में अधिक बिजी रहना
अक्सर काम का अधिक बोझ होने पर बच्चे पेरेंट्स को समय नहीं दे पाते हैं। मगर मां-बाप का दिल तो हर समय उनके बच्चे के प्यार व फ्रिक में धड़कता है। ऐसे में बच्चे से समय ना मिलने पर उनका दिल टूट जाता है। इसके कारण बच्चे मां-बाप खुद से अलग होने लगते हैं।
ऐसे रखें अपने बुढ़े मां-बाप का ध्यान
. हमेशा अपने मां-बाप का आदर करो।
. उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें।
. काम में अधिक बिजी होने के बावजूद भी बात करना ना छोड़े। समय-समय पर पेंरेट्स से बात करें। अगर आप नौकरी के कारण किसी दूसरे शहर में रहते हैं तो समय निकालकर उनसे मिलने जाए। आप रोजाना कुछ समय निकाल कर उन्हें फोन पर भी बात कर सकते हैं।
. अपने बच्चे व फैमिली की तरह मां-बाप की भी हर जरूरत का ध्यान दें।