आजकल बुजुर्गों पर ध्यान नहीं देना, घर वालों यहां तक पोते-पोतियों द्वारा उन्हें ओल्ड एज होम छोड़ देने की बात करना बहुत काम सी बात है। खासतौर से छोटे बच्चे ये जानते ही नहीं कि बड़े- बुजुर्ग हमारे परिवार और समाज का कितना अहम हिस्सा हैं। इसी कारण बुजुर्गों में डिप्रेशन, अकेलपान फील करने जैसी समस्याएं आ जाती हैं। घर में दादी- दादा अक्सर पोते-पोती का इग्नोरेंस झेलते हैं। वहीं मोहल्ले और पास- पड़ोस के बुजुर्गों को तो बच्चे बिल्कुल बोझ समझते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि समाज में बुजुर्गों को सही स्थान मिले। इसकी शुरूआत बच्चों से ही करनी चाहिए, क्योंकि बच्चे देश का भविष्य हैं और उनको जररूरत है बदलने की ताकि बुजुर्गों का बेहतर सम्मान हो सके। आज World Elder Abuse Awareness Day पर आपको बताते हैं कैसे सिखाएं बच्चों को बुजुर्गों का सम्मान करना...
खुद भी करें बुजुर्गों का सम्मान
बच्चे घर में बड़ो को देखकर ही सिखते हैं। तो बच्चों के सामने बुजुर्गों के पैर छुएं, नमस्ते करें और उनका हाल पूछें। इससे बच्चे इन चीजों को सीखेंगे। आमतौर पर माता-पिता बच्चों से कह तो देते हैं बुजुर्ग को नमस्ते करने के लिए, लेकिन जब आप सिर्फ बच्चों को न कहकर खुद भी इस बात पर अमल करेंगे तो बच्चों पर इसका ज्यादा असर पड़ेगा। फिर वो भी इन चीजों को खुद ही अपनी आदतों में शुमार कर लेंगे।
खाने में टेबल में दें बुजुर्गों को प्रथमिकता
खाने में टेबल पर बुजुर्गों को प्राथमिकता दें। उनके पसंद का खाना बनाएं। अक्सर माता-पिता बच्चों की जिद तो पूरी कर देते हैं, लेकिन बुजुर्गों को क्या चाहिए, इसका ख्याल नहीं करते हैं। हफ्ते में कम से कम 1 से 2 बार खाने में ऐसी चीजें भी रखें जो बुजुर्गों को पसंद हो। इससे बच्चों पर साइकोलॉजिकल इफेक्ट पड़ेगा और उन्हें लगेगा कि घर में दादा-दादी का भी महत्व है। अगर मोहल्ले में भी कोई बुजुर्ग दंपति अकेली रहती हो तो हफ्ते में उन्हें एक दिन खाने पर बुलाएं। ध्यान रखें घर के बच्चे और बुजुर्ग एक साथ ही खाना खाएं।
बच्चों को बताएं बुजुर्गों का योगदान
बुजुर्गों ने जो काम किए, उसका महत्व, त्याग और योगदान बच्चों से शेयर करें। खासतौर से दादा-दादी ने किन मुश्किल परिस्थितियों को झेला वह बच्चों से शेयर करें। अगर मोहल्ले में भी कोई बुजुर्ग हों तो उनकी जिंदगी के बारे में पता कर बच्चों के बताएं। इससे बच्चों के मन में बुजुर्गों के प्रति सम्मान बढ़ेगा।
घूमने जाते वक्त बुजुर्गों को भी लें साथ में
घूमने जाते वक्त बुजुर्गों को भी लेकर जाएं। अक्सर परिवार में घूमने का कार्यक्रम बनता है तो बुजुर्गों को घर पर छोड़ दिया जाता है। ये बहुत जरूरी है कि कभी-कभी घर के बुजुर्ग भी साथ चलें। अगर सिंगल फैमिली में रहते हैं तो आसपड़ोस के बुजुर्ग लोगों संग किसी शाम पार्क में टहलने जाएं और साथ में बच्चों को भी रखें। घर में बुजुर्ग के साथ यदि स्वास्थ्य समस्या है तो कम से कम बच्चों के सामने उनसे चलने के लिए पूछें जरूर बेशक वह मना कर दें।