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बुजुर्गों का दर्द समझते हैं रतन टाटा, बेसहारा का सहारा बनने के लिए इस स्टार्टअप कंपनी का दिया साथ

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 11 Aug, 2023 12:07 PM
बुजुर्गों का दर्द समझते हैं रतन टाटा,  बेसहारा का सहारा बनने के लिए इस स्टार्टअप कंपनी का दिया साथ

इन दिनों देश के हालात ऐसे हो गए हैं कि धरती पर भगवान का रूप कहे जाने वाले मां-बाप दर-दर भटकने को मजबूर हैं। कई बूढ़े मां-बापों की दुख भरी  दास्तान सुनकर दिल में आता है कि काश हम इनके लिए कुछ कर पाते। बुजुर्गों के अकेलेपन और उनके दर्द के समझते हुए  देश के बड़े और सम्मानित उद्योगपति रतन टाटा ने एक बड़ी पहल की है। 

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भारतीय बिजनेस टाइकून ने  Goodfellows नाम की यह स्टार्टअप कंपनी को अपना समर्थन दिया है।  स्टार्टअप कंपनी युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों को जोड़ने का काम करती है।  अकेलापन दूर करने के लिए ये युवा बुजुर्गों के साथ कैरम खेलते हैं, उनके लिए अखबार पढ़ते हैं और आराम करने में उनकी मदद करेंगे। इस नए स्‍टार्टअप के संस्‍थापक शांतनु नायडू हैं। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से पढ़े 25 साल के नायडू टाटा के कार्यालय में उप महाप्रबंधक हैं। 2018 से वह टाटा की सहायता कर रहे हैं।

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पिछले साल  स्टार्टअप की लॉन्चिंग के दौरान  रतन टाटा ने कहा था कि- -आपको तब तक अकेले होने का मतलब समझ नहीं आता, जबतक आप एक साथी की चाह में अकेलापन महसूस नहीं करते हैं। आपको बूढ़े होने से डर नहीं लगता, लेकिन जब आप बूढ़े हो जाते हैं तो आपको समझ आता है कि दुनिया बहुत मुश्किल है."। उनका कहना है कि - आप तब तक यह समझ सकते हैं कि अकेले रहना कैसा होता है जबतक कि आप खुद अकेले रहते हैं और साथ चाहते हैं।

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बता दें कि ये स्टार्टअप वरिष्ठ नागरिक ग्राहकों के साथी के रूप में ‘काम’ करने के लिए युवा स्नातकों को काम पर रखता है। आम तौर पर, एक साथी सप्ताह में तीन बार ग्राहक से मिलने जाता है, और चार घंटों तक रहता है। एक महीने की मुफ्त सेवा के बाद कंपनी एक महीने का 5,000 रुपये का मासिक शुल्क लेती है। कंपनी आर्थिक राजधानी में बीटा चरण में पिछले छह महीनों से 20 बुजुर्गों के साथ काम कर रही है और आगे पुणे, चेन्नई और बेंगलुरु में सेवाएं देने की योजना बना रही है।

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