मौत किस रूप में आ जाए यह कोई नहीं जानता, कल शाम सैंकड़ों लोगों के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। अपने- अपने काम से निकले लोगों को क्या मालूम था कि ये उनकी जिंदगी का आखिरी सफर होगा। ओडिशा के बालासोर जिले में कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के बेपटरी होने और एक मालगाड़ी के टकराने से जुड़े त्रिपक्षीय रेल हादसे में कम से कम 280 लोगों की मौत हो गई जबकि 900 से ज्यादा घायल हो गए। सवाल यह है कि इसन मौतों का जिम्मेदार कौन है।
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि हावड़ा जा रही 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कई डिब्बे बाहानगा बाजार में पटरी से उतर गए और दूसरी पटरी पर जा गिरे। ‘‘पटरी से उतरे ये डिब्बे 12841 शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा गए और इसके डिब्बे भी पलट गए।'' कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे पटरी से उतरने के बाद एक मालगाड़ी से टकरा गए, जिससे मालगाड़ी भी दुर्घटना की चपेट में आ गई। हादसा इतना दर्दनाक था कि चारों तरफ चीख- पुकार ही सुनाई दे रहा था।
इस हादसे को भले 12 घंटे से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन रेलगाड़ी के अंदर से लाशें निकलने का काम अभी भी जारी है। क्या पता इनमें से कितने लोग मदद को इंतजार करते- करते दम तोड़ गए होंगे। जाे बच गए हैं उन्होंने मौत को बेहद करीब से देखा है। ये हादसा शाम को करीब सात बजे, हावड़ा से करीब 255 किलोमीटर दूर बाहानगा बाजार स्टेशन पर हुआ। घायलों की संख्या इतनी ज्यादा है कि अस्पतालों में बैड भी कम पड़ गए हैं।
घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि पटरी से उतरे डिब्बों में कई लोग फंस गए और स्थानीय लोग उन्हें बचाने के लिए आपातकालीन सेवा कर्मियों की मदद कर रहे थे, लेकिन अंधेरा होने की वजह से अभियान में दिक्कतें आईं। ओडिशा आपदा त्वरित प्रतिक्रिया बल (ओडीआरएएफ) की चार टुकड़ियां, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की तीन टुकड़ियां और 60 एंबुलेंस घायलों को बचाने के काम में जुटी हैं।
मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका हैं क्योंकि अभी घायल और शव दुर्घटनास्थल से निकाले जा रहे हैं। दुर्घटना के मद्देनजर ओडिशा सरकार और रेलवे ने हेल्पलाइन की शुरुआत की है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेल दुर्घटना में जान गंवाने वालोंं को दस लाख रुपए और घायलों को दो लाख रुपए से लेकर 50 हजार रुपए की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।