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कानपुर की 5 सबसे भूतिया जगह , यहां जो गया जिंदा वापस नहीं लौटा!

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 31 Mar, 2023 05:00 PM
कानपुर की 5 सबसे भूतिया जगह , यहां जो गया जिंदा वापस नहीं लौटा!

आज के दौर में भला कौन भूत-प्रेत की कहानियों पर यकीन नहीं करते हैं। लेकिन आए दिन कई जगहों पर ऐसी कई पैरानॉर्मल एक्टिविटीज होती है , जिससे पूरी तरह से इनकार भी नहीं किया जा सकता। हर किसी ने कभी न कभी अपने आसपास ऐसी एनर्जी महसूस की है, जिसके बारे में सोच कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि है यूपी का कानपुर शहर। कानपुर वैसे तो बड़ा ही खूबसूरत और ऐतिहासिक शहर है, लेकिन यहां पर बहुत सारी ऐसी जगहें भी हैं जहां पर सूरज ढलने के बाद जाने से डर लगने लगता है।

जिन्नातों की मस्जिद

कानपुर में स्थित डरावनी जगहों की बात होती है तो सबसे पहले जिन्नातों की मस्जिद का जिक्र होता है। कहा जाता है कि यह मस्जिद लगभग 350 साल पुराना है। इस मस्जिद को लेकर डरावनी कहानी है कि मस्जिद का निर्माण रातों-रात जिन्नातों ने किया था। जो लोग भूत-प्रेत से परेशान रहते हैं वो भी यहां आते हैं।

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सिविल लाइंस ग्रेव यार्ड

इस शहर के पौश इलाके में स्थित सिविल लाइंस ग्रेव यार्ड की डरावनी कहानी आपको संकोच में डाल सकती है। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि रात में यहां से गुजरने वाले व्यक्ति को भूत दिखाई देता है। सिविल लाइंस ग्रेव यार्ड में ऐसी कई आकस्मिक दुर्घटनाएं घटी है, जिसे कई लोग भूत से जोड़कर देखते हैं।

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जैन प्लेस

कानपुर के रतनलाल में मौजूद जैना प्लेस भी डरावनी जगहों में शामिल है। जैन प्लेस एक प्राचीन इमारत है और कहा जाता है कि इस इमारत को बनाने वक्त कई कारीगर की अचानक ही मौत हो गई थी। कहा जाता है कि आज भी सूरज ढलते यहां कोई नहीं जाता है।

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अनवरगंज का बंगला नबंर 128

अनवरगंज के प्राइमरी स्कूल का बंगला नंबर 128 का कमरा जहां बच्चे जाने से डरते हैं और अध्यापकों का ट्रांसफर करना पड़ता है। यहां पर एक स्कूल टीचर के मुताबिक एक कर्मचारी की पत्नी ने यहां पर फांसी लगा ली थी। कहा जाता है कि तब से उनकी आत्मा इसी कमरे में है। इन घटनाओं के बाद से यहां पर बहुत कम बच्चे आते हैं और रात को पूरा सन्नाटा ही पसर जाता है। 

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खेरेश्वर धाम मंदिर

कहा जाता है कि इस मंदिर को गुरू द्रोणाचार्य ने बनवाया था और इस मंदिर में शिवजी प्रकट हुए थे। यहां पर रोज रात को 12 से 1 बजे के बीच अश्वत्थामा शिवलिंग की पूजा करने के लिए आते है क्योंकि गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा का जन्म भी यहीं हुआ था। रात में मंदिर बंद होने के बाद जब सुबह 4 बजे खोला जाता है तो शिवलिंग पर चढ़े सफेद फूल में से एक का रंग लाल हो जाता है।
 

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