04 NOVMONDAY2024 11:58:31 PM
Nari

फूलों की वर्षा के बीच खुले बद्री विशाल के कपाट, 3 चाबियों से खुलता है बद्रीनाथ धाम

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 27 Apr, 2023 01:00 PM
फूलों की वर्षा के बीच खुले बद्री विशाल के कपाट, 3 चाबियों से खुलता है बद्रीनाथ धाम

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित साक्षात भू बैकुंठ कहे जाने वाले बद्रीनाथ के कपाट आज प्रात: 7 बजकर 10 मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चार और पवित्र विष्णु सहस्रनाम के मंत्रोच्चार के साथ खुल गये। इस खास अवसर पर हजारों संत महात्मा और भारत के विभिन्न राज्यों से आए बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल की एक झलक पाने के लिए पंक्ति  अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए। इस दौरान तीर्थयात्रियों पर हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश की गई।

PunjabKesari
भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने की प्रक्रिया सुबह 04 बजे से आरंभ हो गयी थी । विभिन्न प्रक्रियाओं के बाद सबसे पहले बद्रीनाथ के रावल मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नम्बूदरी ने मंदिर में प्रवेश किया। ठीक 07 बजकर 10 मिनट पर धाम के के दरबार खुले। इस दौरान बद्रीनाथ धाम को 15 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया था।


 हर साल की तरह इस साल भी पहली पूजा और आरती देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से हुई।बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा शुरू हो गई है।  परंपराओं के अनुसार यहां 6 महीने मनुष्य और 6 महीने देवता भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। 

PunjabKesari

बद्रीनाथ धाम के कपाट पूरे विधि-विधान से खोले जाते हैं। मंदिर की 3 चाबियां अलग-अलग लोगों के पास होती है। इन तीनों चाबी को लगाने पर ही पट खुलते हैं। एक चाबी उत्तराखंड के टिहरी राज परिवार के राज पुरोहित के पास होती है, जो नौटियाल परिवार से संबंध रखते हैं। दूसरी बद्रीनाथ धाम के हक हकूकधारी मेहता लोगों के पास होती है और तीसरी हक हकूकधारी भंडारी लोगों के पास। मं

PunjabKesari
बता दें कि बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी के बाए तट के किनारे बसा हुआ है और इसकी स्थिति दो पर्वत श्रृंखलाओं के बीच है जिन्हें नारायण श्रेणी कहा जाता है।इस मंदिर में बद्रीनारायण के रूप में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह मंदिर ऋषिकेश से लगभग 240 किलोमीटर दूर है।

PunjabKesari
मंदिर के गर्भग्रह में भगवान विष्णु के साथ नर नारायण की मूर्ति भी स्थापित है और कहते हैं कि इन्हें स्पर्श करने का अधिकार केवल केरल के पुजारी को होता है। मान्यता है कि रावल ही इस मूर्ति को छू सकते हैं और अन्य को स्पर्श करने की मनाही है।

PunjabKesari
मंदिर में स्थित भगवान बद्रीनाथ की प्रतिमा भगवान विष्णु को समर्पित है जो कि 3.3 फीट की शालिग्राम की बनी हुई है।  बद्रीनाथ की यात्रा लगभग 6 महीने तक चलती है जिसकी शुरुआत अप्रैल से होती है और लगभग नवंबर में यात्रा समाप्त होती है।

PunjabKesari
बताया जाता है कि बद्रीनाथ मंदिर में बद्रीनाथ की स्थापना सोलहवीं सदी के गढ़वाल के राजा ने की थी जिसने भगवान बदरीनाथ की मूर्ति को जिस मंदिर में स्थापित कराया था।इस मंदिर को तीन भागों में विभाजित किया गया है जिसमें मंदिर का गर्भगृह, दर्शन मंडप और सभा मंडप शामिल हैं। 
 

Related News