गलत खान-पान और खराब लाइफस्टाइल के चलते डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारी बच्चों को भी घेर रही है। बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज की समस्या होती है। इसके कारण उनका विकास और शारीरिक वृद्धि सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। इस खतरनाक बीमारी के कारण शरीर के अतिरिक्त अंगों पर भी बुरा असर पड़ता है।टाइप 1 डायबिटीज होने के कारण शरीर में इंसुलिन का निर्माण कम होता है जिसके कारण ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण अलग-अलग नजर आ सकते हैं। डायबिटीज की समस्या में शरीर की इम्यूनिटी पॉवर को भी नुकसान होता है। इसके कारण शरीर के अन्य अंगों को भी गंभीर रुप से नुकसान होता है। लोगों में डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारी के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। ऐसे में इस मौके पर आपको बताते हैं कि बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के क्या-क्या लक्षण नजर आते हैं।
बच्चों में डायबिटीज के लक्षण
एक आंकड़े के अनुसार, दुनियाभर में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज की समस्या हर समय लगभग 3-4 फीसदी तेजी से बढ़ रही है इसके कारण बच्चों के शारीरिक विकास भी प्रभावित होती है बल्कि इसके कारण बच्चों के अंदरुनी अंगों पर भी नुकसान हो सकता है। लंबे समय तक बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण कुछ ऐसे नजर आते हैं।
. बच्चों का वजन तेजी से कम होना या वजन बढ़ना
. बार-बार प्यास लगना
. बार-बार पेशाब लगने की समस्या
. हर समय थकान और चलने-फिरने में परेशानी
. सांस लेने में तकलीफ और बार-बार बेहोश होना
. बच्चे के मूड में बार-बार बदलाव और चिड़चिड़ापन
. बॉडी में इंसुलिन की कमी
कारण
कुछ बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज की समस्या जन्म के समय से ही होती है। इसके लिए अनुवांशिक कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। शरीर में होने वाले वायरल संक्रमण के कारण भी डायबिटीज और टाइप 1 डायबिटीज का खतरा बच्चों में ज्यादा रहता है। इसके कारण उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और इसकी कारण से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। बच्चों में डायबिटीज की समस्या के कारण कुछ इस तरह से हैं।
. आनुवांशिक कारणों की वजह से
. शरीर में इंसुलिन की कमी
. खराब डाइट के कारण
. फिजिकल एक्टिविटी में कमी के कारण
. कुछ बीमारियों के कारण
इलाज
बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण दिखने पर सबसे पहले डॉक्टर उनके शरीर में मौजूद ब्लड शुगर के लेवल की जांच करते हैं। जांच करने के बाद बच्चों का इलाज शुरु किया जाता है। आमतौर पर 6-12 साल के बच्चों का शुगर लेवल 80-180 mg/dl के बीच होता है लेकिन भोजन के बाद यह लेवल 90-180 mg/dl हो सकता है। ऐसे में बच्चों के शरीर में ब्लड शुगर का स्तर अनियंत्रित होता है तो उन्हें इलाज की जरुरत होती है। सही समय पर बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों को पहचानकर इलाज लेने से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। टाइप 1 डायबिटीज की जांच करने के लिए कुछ बच्चों को ब्लड और यूरिन टेस्ट भी किया जाता है। इस समस्या में सबसे ज्यादा ध्यान डाइट और लाइफस्टाइल पर देना पड़ता है।
कैसे करें बचाव?
बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज से बचाव के लिए पेरेंट्स को उनकी डाइट और लाइफस्टाइल का खास ध्यान रखें। स्वस्थ और पौष्टिक आहार का सेवन करने से बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज का खतरा कम होता है। इसके अलावा बच्चों को नियमित रुप से फिजिकल एक्टिविटी में जरुर शामिल करें। बच्चों में वायरल इंफेक्शन के कारण भी टाइप 1 डायबिटीज की हेल्दी डाइट और अच्छी जीवनशैली के सहारे से आप बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज का शिकार होने से बचा सकते हैं। इसके अलावा बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण दिखने पर सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।