कई बार अचानक ही हाथ या पैर सुन्न पड़ जाते हैं। उनमें अजीब सी झनझनाहट होने लगती है। आमतौर पर ये गंभीर बात नहीं है लेकिन अगर ऐसा लगातार हो तो यह धमनी रोग यानि पेरिफेरल आर्टरी रोग का संकेत भी हो सकता है। ऐसे में आपको इसे गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
क्या है धमनी रोग?
यह शरीर के भीतर की एक संचार समस्या है, जिसमें कुछ धमनियां शरीर के अंगों में खून के बहाव को कम करती हैं। जब शरीर में परिधीय धमनी रोग (PAD) पैदा होता हैं, तो आमतौर पर इसका प्रभाव पैरों पर पड़ता है, जिससे चलने में घबराहट, पैरों में दर्द व सुन्नपन की समस्या होने लगती है।
पेरिफेरल आर्टरी रोग के लक्षण
- हाथ-पैरों की मांसपेशियों में दर्द व ऐंठन
- चलना-फिरना, दौड़ना में मुश्किल
- पैरों की पिंडली में तेज दर्द
- अचानक लंगड़ापन या चलने में घबराहट
- पैरों में सुन्नपन या कमजोरी होना
- निचले पैर की सतह में ठंडापन
- पैर की उंगलियों या पैरों पर घाव, जो ठीक नहीं हो रहे
- पैरों के रंग में बदलाव
- सिर व पैरों के बाल झड़ना
- पैर के नाखून ना बढ़ना
- पैरों की नाड़ी का कमज़ोर होना।
अगर स्थिति ज्यादा गंभीर हो तो...
कुछ भी काम करने के बाद आपके कूल्हों, जांघों या ऐड़ियों की मांसपेशियों में दर्द या ऐंठन हो सकती है, जैसे चलना या सीढ़ी चढ़ना। अगर स्थिति ज्यादा गंभीर हो तो आराम, सोते या लेटे हुए भी आपको तेज दर्द हो सकता है।
पेरिफेरल आर्टरी रोग के कारण
यह समस्या ज्यादातर एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण होती है, जिसमें फैटी डिपोज़िट आरट्री की दीवारों पर परत चढ़ाकर खून के बहाव को कम करते हैं। खून की नली में सूजन, अंगों पर चोट लगना, लिगामेंट की असामान्य दिक्कत या मांसपेशियों की असामान्य शारीरिक रचना भी धमनी रोग का कारण बन सकता है। इसके अलावा...
. धूम्रपान
. डायबिटीज
. मोटापा
. हाई ब्लड प्रैशर
. हाई कॉलेस्ट्रॉल
. होमोसिस्टीन का उच्च स्तर, एक प्रोटीन घटक जो टिश्यू बनाने और उसे बनाए रखने में मदद करता है।
. पेरिफरल आरट्री रोग, हृदय रोग या स्ट्रोक की कोई पारिवारिक हिस्ट्री।
. बढ़ती उम्र, खासकर 50 साल की उम्र के बाद भी यह समस्या काफी देखने को मिलती है।
रोकथाम या इलाज
. इससे बचने के लिए स्वस्थ जीवन शैली, हैल्दी भोजन लें। भरपूर गुनगुना पानी पीएं
. धूम्रपान, शराब व नशीली चीजें लेते हैं तो उसे छोड़ दीजिए।
. डायबिटिक हैं तो ब्लड शुगर को कंट्रोल करें।
. डॉक्टर के सालह के बाद एक्सरसाइज व योग करें।
. ब्लड प्रैशर और कॉलेस्ट्रॉल लेवल पर नियंत्रित करें।
. ऐसे भोजन खाएं जिसमें फैट कम हों। इसके साथ ही वजन ना बढ़ने दें।
. पैरों को लटकाने या घूमने से दर्द से राहत मिलती है।
. इसके अलावा गुनगुने सरसों या जैतून तेल से पैरों की मालिश करें।
अगर समय रहते न किया गया तो यह हृदय और मस्तिष्क के साथ-साथ पैरों में खून के संचार या बहाव को कम कर सकता है इसलिए सावधानी बरतना बहुत जरूरी है।