प्लास्टिक वेस्ट पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ी समस्या है। भारत भी इससे जूझ रहा है। देश के 25 राज्यों में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन है, इसके बावजूद करीब 35 हजार टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है। सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट यह बात करती है, आने वाले कुछ सालों में यह आंकड़ा और तेजी से बढ़ सकता है। इस स्थिति से निपटने की जरूरत है। इसी सोच के साथ 22 साल की सारा लखानी ने अपने कदम बढ़ाए हैं। वह प्लास्टिक को खूबसूरत एम्ब्रॉयडरी में बदलने के मिशन पर हैं। वेस्ट पॉलीथीन बैग से सारा लखानी धागा बनाती हैं, फिर इसका इस्तेमाल कांथा एम्ब्रॉयडरी में होता है। आपको बता दें कि ये एम्ब्रॉयडरी की खास तरह की पारंपरिक शैली है। सारा उन लोगों में से है जिन्होंने परेशान होने के बजाए प्लास्टिक वेस्ट से छुटकारा पाने का तय किया। उनकी क्लोदिंग लाइन ने पिछले साल लैक्मे फैशन वीक में जगह बनाई, यह उनके लिए यादगार लम्हा था।
महाराष्ट्र की हैं सारा लखानी
सारा लखानी महाराष्ट्र के छोटे से शहर गढ़चिरौली की रहने वाली हैं। यह नागपुर के करीब है। उन्होंने प्लास्टिक कचरे को खूबसूरत एम्ब्रायडरी में बदलने का बीड़ा उठा लिया है, वह इसमें सफल भी हो रही हैं। पिछले साल हुए लैक्मै फैशन वीक में उनका लेटेस्ट कलेक्शन ट्रैश ऑर ट्रेजर शोकेस किया गया। इस कलेक्शन को बनाने में 200 से ज्यादा पॉलीथीन बैग्स का इस्तेमाल किया गया था।
एम्ब्रॉयडरी के कई तरीकों पर हाथ आजमाए
22 साल की सारा को बचपन से प्रकृति और पेड़ों से खास लगाव है। उनके पिता फार्मास्यूटिकल्स फील्ड से जुड़े थे। इसी का उनका बिजनस था। तब सारा ने देखा कि इस इकलौती फील्ड में ही कितना प्लास्टिक वेस्ट जनरेट होता है। उन्हें एहसास हुआ कि यह पर्यावरण को कितना बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।
जब अपने कपड़ों के क्लेक्शन के लिए डिजाइनिंग की बारी आई तो सारा को साफ आइडिया था कि उन्हें क्या करना है। उन्होंने एम्ब्रॉयडरी के कई तरीकों पर प्रयोग किया। फिर अंत में पाया कि कांथा सबसे उपयुक्त है। सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें प्लास्टिक का इस्तेमाल हो सकता था। फिर क्या था, उन्होंने एम्ब्रॉयडरों के साथ घंटों समय बिताया। शुरु में उन्हें इसके कारीगर भी नहीं मिलते थे। वो खुद कई-कई घंटे काम किया करती थीं। ऐसे एक पीस को तैयार करने में कम से कम 15 दिन का समय लग जाता है, ये काम बहुत बारीक होता है। 2022 में उन्हें अपने डिजाइनस को लैक्मे फैशन वीक में भी दिखाने का मौका मिला। आपको बता दें सारा प्लास्टिक वेस्ट से कोर्सेट, टॉप, जैकेट, स्कर्ट और कपड़े बना रही है।
युवा पीढ़ी को करना चाहती है जागरूक
सारा चाहती हैं कि उनकी पीढ़ी के लोग समझें कि कैसे हमारी ऐक्टिविटीज पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसे समय में ज्यादा टिकाऊ होना कितना जरूरी है। उनकी इच्छा है कि वह फैशन की फील्ड में और चीजों को खोजें। इसका पता लगाएं कि देश में फैशनेबल कपड़े कैसे ज्यादा टिकाऊ और ईको-फ्रेंडली बनाए जा सकते हैं।