मष्तिष्क हमारे शरीर का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है। यह सारे अंगों को नियंत्रित करता है परंतु खराब खानपान और बिगड़ते लाइफस्टाइल के कारण ब्रेन से जुड़ी बीमारियां भी काफी तेजी से फ़ैल रही हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक है ब्रेन स्ट्रोक। यह एक ऐसी बीमारी है जिसकी चपेट में न सिर्फ उम्रदराज बल्कि युवा भी बहुत ही तेजी से आ रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में स्ट्रोक हर साल लगभग 13 लाख लोग प्रभावित होते हैं। देश में बढ़ रहे ब्रेन स्ट्रोक के केस को देखकर एक्सपर्ट्स का यह कहना है कि साल 2050 तक स्ट्रोक के कारण मरने वाले लोगों का आंकड़ा 1 करोड़ तक पहुंच जाएगा। हाल ही में बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती भी इस बीमारी का शिकार हुए हैं लेकिन ब्रेन स्ट्रोक के मामले इतने क्यों बढ़ रहे हैं और इसके कारण क्या है आज आपको इस बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं।
कैसे होता है ब्रेन स्ट्रोक?
सही ढंग से काम करने के लिए दिमाग को हमेशा पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। ब्लड सर्कुलेशन के जरिए ऑक्सीजन दिमाग तक पहुंचता है। रक्तवाहिका नलियों में ब्लड क्लॉटिंग या उनके फटने के कारण ब्रेन की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और वे तेजी से खत्म होने लगती हैं। इसी शारीरिक अवस्था को ब्रेन स्ट्रोक कहते हैं। ब्रेन स्ट्रोक दो तरह के होते हैं एक इस्केमिक और दूसरा हेमरैजिक स्ट्रोक।
इस्केमिक स्ट्रोक
इसमें व्यक्ति को दिमाग की नसों में खून जमने की समस्या होती है इसके कारण व्यक्ति के कुछ हिस्सों को ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं मिल पाता। स्ट्रोक के लगभग 87%मामलों में ऐसी ही समस्या देखने को मिलती है।
हेमरैजिक स्ट्रोक
इस स्ट्रोक में मस्तिष्क की नसें फट जाती हैं जिसके कारण कुछ हिस्सों में अनियंत्रित रक्त प्रवाह शुरू हो जाता है। यह स्थिति व्यक्ति के लिए बेहद खतरनाक होती है।
सबसे ज्यादा मौतों का कारण बनता है स्ट्रोक
एक्सपर्ट्स की मानें तो देश में 85 प्रतिशत लोग इस्केमिक ब्रेन स्ट्रोक का शिकार होते हैं। इस्केमिक ब्रेन स्ट्रोक के कई कारण हो सकते हैं। परंतु डायबिटीज, हाइपरटेंशन, स्मोकिंग, खान-पान और लिपिड कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ लेवल इस स्ट्रोक का मुख्य कारण हैं। इस्केमिक ब्रेन स्ट्रोक के कारण ब्लड वेसेल्स पतली हो जाती हैं और उसके अंदर चर्बी जम जाती है। जब दिमाग तक खून ठीक से नहीं पहुंच पाता है तो एट्रील फिब्रीलेशन की दिक्कत शुरू हो जाती है, जिसके कारण दिल में छोटी- छोटी गांठे बन जाती हैं। बाद में यही गांठें ब्रेन में पहुंच जाती है और ब्रेन के ब्लड वेसेल्स ब्लॉक हो जाते हैं।
लक्षण
स्ट्रोक आने के बाद लक्षणों से इसका पता लगाया जा सकता है जैसे
. चेहरे का सुन्न होना
. हाथ या पैर का अचानक सुन्न होना
. कमजोरी होना
. हाथ से लेकर पैर तक का शरीर का एक हिस्सा लकवाग्रस्त होना
. अचानक तेज सिर दर्द होना
. बोलने में कठिनाई होना
. आवाज सही नहीं आना
. मुंह का टेढ़ा होना
कारण
. स्ट्रोक आने का ज्यादा खतरा उन लोगों को रहता है जिनका बीपी अचानक से बढ़ जाता है।
. इसके अलावा यदि कोई स्मोकिंग या शराब का सेवन करता है तो भी उसे स्ट्रोक हो सकता है।
. देर रात तक जागना, लैपटॉप पर देर रात तक काम करना, मोबाइल-टीवी पर देर तक स्क्रीन देखने के कारण भी ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
. ज्यादा फास्ट फूड और जंक फूड खाने के कारण
. ज्यादा तेल, मसाला आदि का सेवन करने वाले लोगों को भी ब्रेन स्ट्रोक का खतरा रहता है।
. नियमित एक्सरसाइज न करने के कारण
. इसके अलावा जिन लोगों का शुगर या बीपी घटता बढ़ता है उन्हें इसका खतरा हो सकता है।
कैसे करें बचाव?
. ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी में ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी समस्याएं कॉमन है ऐसे में खान-पान में लापरवाही न बरतें।
. जिन लोगों में बीपी ज्यादा होता है या यह नीचे-ऊपर गिरता है तो उन्हें भी स्ट्रोक हो सकता है।
. देर रात तक जागने की आदत को बदलें और सोने से 1-2 घंटे पहले किसी भी तरह की स्क्रीन न देंखे।
. पूरी नींद लें।
. नियमित व्यायाम करें ।
. खान-पीने की आदतें बदलें। हैल्दी फूड्स खाएं और जंक फूड्स से दूरी बना लें।
. समय-समय पर अपनी शारीरिक जांच करवाते रहें।