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पुत्रदा एकादशी से शुरु हो रहा है नया साल, जानिए पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

  • Edited By palak,
  • Updated: 29 Dec, 2022 06:13 PM
पुत्रदा एकादशी से शुरु हो रहा है नया साल, जानिए पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म के अनुसार, साल में कुल बारह एकादशी होती है जिनमें से दो पुत्रदा एकादशी होती हैं। पहली पुत्रदा एकादशी का व्रत पौष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है वहीं दूसरा पुत्रदा एकादशी का व्रत सावन महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस बार पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत नए साल के दूसरे दिन यानी की 2 जनवरी को रखा जाएगा। इस व्रत में श्री हरि विष्णु जी की पूजा की जाती है। ऐशा माना जाता है कि पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत नियमाअनुसार, करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्यफल मिलता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, जिन लोगों की संतान नहीं होती उनके लिए यह व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं पौष पुत्रदा एकादशी व्रत की विधि, शुभ मुहूर्त के बारे में...

पूजा का शुभ मुहूर्त 

पौष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत नए साल के पहले दिन 01 जनवरी रविवार शाम 07:11 से शुरु हो रही है। इस तिथि का समापन 02 जनवरी 2023 सोमवार को रात 08:23 पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, 2 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। 

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बन रहे हैं ये योग 

पंचागों के अनुसार, 02 जनवरी को एकादशी तिथि पर सिद्ध, साध्य, रवि नाम के तीन शुभ योग बन रहे हैं। इन तीनों योगों में पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस योग में की गई पूजा कई गुनाज्यादा फल देती है। 

पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी को बैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि यदि कोई जातक इस व्रत का पालन नियम और विधि अनुसार करे तो उसे जल्द ही संतान सुख मिलता है और इस व्रत को नियमअनुसार करने वालों की संतान का स्वास्थ्य भी हमेशा अच्छा रहता है। इसके अलावा लंबे समय से रुके हुए किसी भी कार्य की भी पूर्ति होती है। 

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पूजा विधि 

. पौष पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें और शुद्ध जल के साथ स्नान करें। इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य और सोलह सामग्री से भगवान विष्णु का पूजन करके दीपदान करें। 
. साथ ही एकादशी की सारी रात बैठकर भगवान विष्णु का भजन कीर्तन करें। हरि विष्णु से किसी भी प्रकार की हुई भूल या पाप की माफी मांगे। 

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. अगली सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें। ब्राह्माण को भोजन करवाकर ही स्वंय भोजन करें। 

 

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