संत शब्द का अर्थ ही है, सज्जन और धार्मिक व्यक्ति। सच्चे संत का इस संसार में बड़ा महत्व है, क्योंकि वह ईश्वर का एक प्रतिनिधि होता है। तभी तो महात्माओं के बचन को सबसे बड़ी सीख माना जाता है। इन दिनों दो संतों के अलग- अलग विचारों ने लोगों को असमंजस में ही डाल दिया। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि वह किस पर विश्ववाश करें और किस पर नहीं। यह और कोई नहीं बल्कि जाने-माने कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा और राधारानी के परम भक्त प्रेमानंद महाराज जी हैं।
आमतौर पर देखा जाता है कि जब भी कोई बड़े संत आपस में मिलते हैं तो एक दूसरे का सम्मान करते हैं। पर इस बार हालात कुछ अलग ही नजर आ रहे हें। लोगों को शांति का ज्ञान देने वाले दो संत आपस में ही भिड़ गए। यह सारा मामला जुड़ा है राधारानी के जन्म स्थल का। हाल ही में प्रदीप मिश्रा ने कुछ ऐसा दावा कर दिया जिसे सुन हमेशा शांत रहने वाले प्रेमानंद जी महाराज भड़क गए।
दरअसल पंडित प्रदीप मिश्रा ने एक कथा के दौरान कहा कि राधाजी बरसाना नहीं, बल्कि रावल गांव की रहने वाली थीं। बरसाने में राधा जी के पिताजी की कचहरी थी वो साल में एक बार इस कचहरी में जाती थीं इसलिए उसका नाम बरसाना है यानी बरस में एक बार आना। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की 16 हजार रानियों में राधा का नाम नहीं है. उनके पति में श्रीकृष्ण का नाम नहीं है।
मिश्रा जी ने दावा किया कि राधा जी की शादी छात्रा गांव में हुई थी। उनकी ये बातें सुन राधारानी के परम भक्त प्रेमानंद महाराज जी अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाए। उन्होंने एक वीडियो जारी कर कहा कि तुम किस राधा की बात करता है। अभी राधा को तुम जानते कहा हो, अगर जान जाओगे तो आंसुओं से वार्ता होती है। प्रेमानंद जी ने कहा कि वह प्रकट हुईं और सदा प्रकट हैं। वह प्रदीप मिश्रा को कहते हैं कि बरसाने कभी गए हो, कभी देखे हो।
प्रेमानंद महाराज जी तल्ख लहजे में कहते हैं- देख लेना किसी काम के नहीं रहोगे। ये श्राप नहीं, परिणाम बोल रहा हूं। वह आगे कहते हैं- राधा जी भोली हैं लेकिन उनके सेवक काल है। श्री जी के बारे में ऐसी टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसे लोगों की बातें सुनकर पुरखा तर नहीं जाएंगे वो नरक जाएंगे।