पीरियड्स, महिलाओं को होने वाला एक नेचुरल प्रोसेस है, जो 21 से 30 दिन का होता है। मगर, बिगड़ते लाइफस्टाइल के चलते महिलाओं को पीरियड्स से जुड़ी कई समस्याओं का सामना कर पड़ रहा है। पीरियड्स समय पर ना आना, कम या ज्यादा आना, रूक-रूक कर आना जैसी प्रॉब्लम्स काफी कॉमन हो गई है। अनियमित पीरियड्स को मेडिकल भाषा में ओलिगोमेनोरिया भी कहा जाता है, जो आगे चलकर प्रेगनेंसी में दिक्कतें खड़ी करती है। महिलाओं के पीरियड्स अनियमित होने के कई कारण हो सकते हैं और आज हम आपको उन्हीं के बारे में बताएंगे।
अधिक तनाव लेना
अधिक तनाव का असर भी पीरियड्स पर पड़ता है। तनाव ओव्यूलेशन पैटर्न को बदल देता है, जिससे अंडे निकलने में देरी हो सकती है। जब ओव्यूलेशन नहीं होता है तो पीरियड्स भी नहीं होते हैं।
वजन बढ़ना या कम होना
अचानक वजन बढ़ना या वजन कम होना प्रजनन चक्र पर बहुत अधिक दबाव डालता है। इससे मासिक धर्म या तो अनियमित हो जाता है या पूरी तरह से बंद हो जाता है।
प्रिस्क्रिप्शन दवाएं
कुछ दवाएं भी अवधि के पैटर्न को बदल सकती हैं। ऐसी दवाओं में आमतौर पर गर्भनिरोधक गोलियां, गर्भनिरोधक के लिए उपयोग किए जाने वाले अंतर्गर्भाशयी उपकरणों (आईयूडी) के कुछ ब्रांड, कैंसर की दवाएं, रक्त को पतला करने वाली दवाएं, एंटीबायोटिक्स और एंटी-साइकोटिक दवाएं शामिल हैं।
ये बीमारियां भी है कारण
थायराइड, गुर्दे की समस्याएं और अनियंत्रित डायबिटीज, पीसीओएस और पीसीओडी जैसे हार्मोनल रोग भी पीरियड्स सर्कल पर असर डालते हैं।
फाइब्रॉएड
फाइब्रॉएड और पॉलीप्स जैसी सौम्य वृद्धि भी एक महिला की अवधि को प्रभावित कर सकती है। हालांकि ये कैंसर नहीं हैं लेकिन ये पीरियड्स के पैटर्न को बदल सकते हैं।
कैंसर
कुछ कैंसर जैसे सर्वाइकल कैंसर, एंडोमेट्रियल कैंसर और गर्भाशय सार्कोमा के कारण भी पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं।
सिर्फ एक या दो बार पीरियड्स अनियमित होना चिंता का कारण नहीं है। हालांकि, अगर अनियमितता तीन से अधिक चक्रों तक बनी रहे तो अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच करवाएं।