संगम नगरी में माघ मेले के चतुर्थ स्नान पर्व बसंत पंचमी पर बुधवार को हर-हर गंगे के उद्घोष के बीच सुबह आठ बजे तक लगभग 14.70 लाख लोगों ने गंगा और पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई। मंगलवार को बारिश होने के बाद सुबह से ही बादल छाए रहने और मौसम ठंडा रहने के बावजूद लाखों लोगों ने गंगा और संगम में स्नान किया।
स्नान के लिए तड़के से ही लोगों का माघ मेला क्षेत्र में आना जारी है जिसमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। स्नान करने के लिए आ रहे श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए घाटों की लंबाई 6,800 फुट से बढ़ाकर 8,000 फुट कर दी गई है और कुल 12 घाट बनाए गए हैं एवं सभी घाटों पर वस्त्र बदलने के लिए पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
बसंत पंचमी पर पुण्य अर्जित करने के लिए माघ मेला क्षेत्र और नगर में विभिन्न स्थानों पर स्थानीय लोग पूड़़ी सब्जी, हलवा पूड़ी आदि का वितरण कर रहे हैं। वहीं, माघ मेला क्षेत्र में लगे साधू-संतों के शिविर में व्यापक स्तर पर भंडारे लगाए गए हैं।
मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी दान-पुण्य का महापर्व है। आज के दिन किया गया दान-पुण्य हजारों गुणा लाभदायक हाेता है, इस दिन पीले चीजों का दान करने का विशेष महत्व है
कहा जाता है कि अगर आप इस दिन कुछ शुभ कार्य करते हैं तो जीवन में आपको सफलता जरूर मिलती है, साथ ही मां सरस्वती का आशीर्वाद भी आप पर बना रहेगा। बसंत पंचमी के दिन पपीते व केले का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है, ऐसा करने से शारीरिक व मानसिक विकास होता है।
पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है, ऐसे में इस दिन पूजा और वस्त्रों में भी पीले रंग का इस्तेमाल किया जाता है। मां सरस्वती की अराधना भी पीले फूल चढ़ाकर की जाती है।