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बच्चों से रखते हैं परफेक्शन की उम्मीद तो पहले बदलें खुद की ये 8 आदतें

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 27 Oct, 2020 03:07 PM
बच्चों से रखते हैं परफेक्शन की उम्मीद तो पहले बदलें खुद की ये 8 आदतें

अक्सर हम अपने बच्चों से परफेक्शन की उम्मीद करते हैं। मगर, बच्चे तब तक परफेक्ट नहीं हो सकते जब तक पेरेंटिंग परफेक्ट ना हो। भले ही आपको यकीन न हो लेकिन बच्चों की परवरिश करते हुए पेरेंट्स भी अक्सर गलतियां कर जाते हैं। ऐसे में आप उन्हें दूर करके अपने तरीके को परफेक्ट बना सकते हैं। इसके लिए आपको सिर्फ कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने की जरूरत है...

बच्चे की परवरिश में पेरेंट्स ध्यान में रखें ये 8 बातें...

बच्चों की खूबियों को पहचानें

यह बहुत जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों की कमजोरियां ही नहीं बल्कि गुणों व क्षमताओं को भी पहचानें। हर बच्चे में अलग-अलग क्वालिटिज होती है इसलिए उसे पहचानक निखारें।

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दूसरों से ना करें तुलना

कभी भी बच्चों की तुलना उनके बड़े भाई-बहन या दूसरे बच्चों से ना करें। इससे बच्चे में हीन भावना आ जाती है। हर बच्चा किसी फील्ड में दूसरे से बेहतर होता है इसलिए उसकी तुलना करना सही नहीं।

बच्चों को करें मोटिवेट

हमेशा अपने बच्चों को मोटिवेट करें, ताकि वह कुछ बेहतर करें। साथ ही दूसरों के सामने भी उनकी खूबियों की प्रशंसा करें। इससे उनमें कॉन्फिडेंस बढ़ेगा और बच्चों में कुछ नया करने की भावना भी आएगी।

बच्चों के सामने गाली-गलोच करना गलत

कई बार घर के लोग बच्चों के सामने ही गाली-गलोच करके बात करते हैं, जोकि सही नहीं है। इससे बच्चे अनजाने में ही गलत भाषा सीख लेते हैं। ऐसे में जब वो दूसरों के सामने गाली देंगे तो आपको ही शर्मिंदगी महसूस होगी।

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बच्चों के लिए अच्छी एग्जाम्पल बनें

बच्चों के सामने कभी भी शराब, सिगरेट आदि का सेवनना करें क्योंकि वह अपने बड़ों की हर बात फॉलो व कॉपी करके हैं। ऐसे में बच्चों के सामने हमेशा ऐसा व्यवहार करें, जिन्हें कॉपी करके वो कुछ अच्छी सीखें।

बच्चों के दोस्त बनें

उन्हें कम्फर्टेबल फील करवाएं, ताकि वह बिना किसी डर या झिझक के आपसे अपने दिल की बात शेयर करें। उनके दोस्त बनें, ताकि वो जरूर पड़ने पर आपसे हर बात कह सकें।

फ्रेंड सर्कल पर रखें नजर

बच्चों के फ्रेंड सर्कल पर भी पूरी नजर रखें लेकिन उन्हें पता ना चलने दें। ऐसे में बच्चे को लगेगा कि आप उनकी जासूस कर रहे हैं।

डांटें नहीं

बच्चे है तो गलती भी करेंगे ही। ऐसे में अगर उनसे गलती हो जाए तो उन्हें डांटने की बजाए प्यार से समझाएं। डांटने या मारने से बच्चे में जिद्दीपन या गुस्से का भावना पनपने लगती है।

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