कुछ पेरैंट्स बच्चों में बचपन से ही अच्छी आदतें डालना और उन्हें परफैक्ट बनाना चाहते हैं। इस दौरान वह बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार कर जाते हैं जिससे वह खुद परिचित नहीं होते। ऐसे बिहेव का बच्चों की पर्सनैलिटी पर उलटा असर पड़ता है। आपका बच्चा सब जानते हुए भी कुछ नहीं कर पाता। एक शोध की मुताबिक, माता-पिता द्वारा हर बात पर बच्चों की उपेक्षा, मारना-पीटना, कमियां निकालना उनमें डर का भाव पैदा करता है। बच्चों को लगता है कि उनके पेरैंट्स उन्हें पसंद नहीं करते। आज हम पेरैंट्स की कुछ ऐसी ही आदतों के बारे में बता रहे हैं जिससे बच्चों का कॉनफिडैंस लूज हो सकता है—
टोका-टाकी
भले ही आपको बच्चों का बैड पर कूदना, दौड़ना-भागना और उलटे-सीधे काम करना अजीब लगे लेकिन बच्चों के लिए यह बड़ी बात होती है। जब पेरैंट्स बच्चों को हर समय टोकते रहते हैं तो उनमें उस काम को लेकर डर बैठता है। इसलिए जरूरी है बच्चों को टोकने की जगह प्यार से समझाएं। कभी-कभी उनकी इन आदतों को इग्नोर करें।
तुलना करना
पेरैंट्स के अंदर सबसे बुरी आदत होती है कि वे अपने बच्चों की पड़ोसी या फिर रिश्तेदारों के बच्चों से तुलना करते हैं। ऐसा करने से बच्चों की मनोस्थिति पर बुरा असर पड़ता है। उनमें हीन भावना जन्म लेती है, जो आगे चलकर खतरनाक रूप धारण कर सकती है। भूलकर भी बच्चे के सामने उसकी तुलना दूसरे बच्चों से न करें।
मजाक बनाना
कुछ पेरैंट्स ऐसे हैं जो बिना सोचे-समझे बच्चों की बचकानी बातों का मजाक उड़ाने लगते हैं। ऐसा आप भले ही मजाक में करते हों लेकिन भावुक बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ता है। वह इस बात को दिल में रखते हैं। इसलिए जरूरी है कि बच्चों की हर बात को ध्यान से और प्यार से सुनें और जवाब दें।
कमी निकालना
बचपन इम्परफैक्ट होता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है वह परफैक्शन की तरफ रुख करता है। लेकिन कई मां-बाप को अपने बच्चों में बचपन से ही परफैक्ट चीजें चाहिए होती हैं। जैसे बच्चा पेंटिंग करता है लेकिन वह परफैक्ट न बने तो पेरैंट्स उसमें कमियां निकालने लगते हैं। ऐसा बिहेव करने से बच्चे का उस काम के प्रति कॉनफिडैंस लूज हो सकता है। पेरैंट्स को चाहिए कि वे समय-समय पर बच्चों की तारीफ करते रहें।
छोटी-छोटी बात पर पीटना
बचपन में बच्चों का गलती करना आम बात है। बचपन में उनकी कोई भी गलती इतनी बड़ी नहीं होती जिसे लेकर उन्हें मारा-पीटा जाए। अक्सर ऐसा होने से वह खुद को सेफ फील नहीं करते। उनमें असुरक्षा की भावना पैदा होगी। पेरैंट्स को चाहिए कि वे बच्चे को मारने-पीटने की जगह प्यार से समझाएं या फिर हल्की सजा देकर छोड़ दें।
ध्यान रखें ये बातें
-समय-समय पर करते रहें बच्चों की तारीफ
- बाहरी व्यक्ति के सामने कभी भी न करें बच्चे के कामों की बुराई
-बात-बात पर बच्चों को टोकना और मारना बंद करें
- बचपन में ही परफैक्ट बनाने का ख्याल मन से निकाल दें
- बच्चों की कुछ आदतों को इग्नोर करें
- गलती करने पर प्यार से समझाएं