नवरात्रि यानि की नौ दिन और हर दिन दुर्गा के 1 रुप को समर्पित है इसलिए इसे नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। बहुत से लोग इन दिनों 9 दिन का उपवास करते हैं और पूजन में हर दिन 9 देवियों को अलग-अलग भोग लगाया जाता है तो चलिए आपको उसी के बारे में बताते हैं।
पहला दिन मां शैलपुत्री
पहले दिन माता के प्रथम रूप माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और इसी कारण उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। इस दिन उपवास करने के बाद माता के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उपवास करने वाला निरोगी रहता है।
दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी
दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या-साधना की थी, इसी लिए मां के इस रुप को ब्रह्मचारिणी कहते हैं। इस दिन माता ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें शक्कर का भोग लगाया जाता है। माता को शक्कर का भोग लगाने से घर में सभी सदस्यों
को लंबी आयु मिलती है।
तीसरा दिन मां चन्द्रघंटा
माता चंद्रघंटा के माथे पर चंद्र अर्द्ध स्वरूप में विद्यमान है। माता चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी मिठाई अथवा खीर का भोग लगाया जाता है। माता चंद्रघंटा को खीर का भोग लगाने से उपवासक को दु:खों से मुक्ति प्राप्त होती है और उसे परम सुख-समृद्धि व आनंद की प्राप्ति होती है।
चौथा दिन मां कूष्मांडा
माता कूष्मांडा देवी दुर्गा का चौथा रूप है। एक मान्यता के अनुसार, ब्रह्मांड की उत्पत्ति माता कूष्मांडा के उदर से हुई है। माता कूष्मांडा की पूजा करने के बाद उन्हें मालपुओं का भोग लगाया जाता है। यह प्रसाद बांटना भी इस दिन शुभ रहता है। मां आशीर्वाद में निर्णय लेने की शक्ति भी बढ़ाती है।
पांचवा दिन मां स्कंदमाता
माता स्कंदमाता कुमार कार्तिकेय की माता है। इस रूप की आराधना करने के बाद माता को केले का भोग लगाया जाता है। इस दिन माता को केले का भोग लगाने से शरीर स्वस्थ रहता है।
छठा दिन मां कात्यायनी
माता कात्यायनी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। माता को अपनी तपस्या से प्रसन्न करने के बाद उनके यहां माता ने पुत्री रूप में जन्म लिया, इसी कारण वे कात्यायनी कहलाईं। छठे दिन माता को भोग में शहद दिया जाता है। माता कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से उपवासक की आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है।
सातवां दिन मां कालरात्रि
ये माता काल अर्थात बुरी शक्तियों का नाश करने वाली हैं इसलिए इन्हें कालरात्रि के नाम से जाना जाता है। नवरात्र के सातवें दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है और माता को गुड़ का भोग लगाया जाता है। माता की पूजा करने से व्यक्ति पर आने वाले शोक से मुक्ति मिलती है आने वाले संकट का भी नाश होता है।
आठवां दिन मां महागौरी
श्री दुर्गा अष्टमी के दिन माता के आठवें रूप महागौरी की पूजा की जाती है। अपने गोरे रंग के कारण इनका नाम महागौरी पड़ा है। इस दिन माता को नारियल का भोग लगाया जाता है और ब्राह्मण को भी नारियल दान में देने की प्रथा है। यह माता नि:संतानों की मनोकामना पूरी करती है।
नौवां दिन मां सिद्धिदात्री
माता सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली कहा गया है। इन्हें सिद्धियों की स्वामिनी भी कहा जाता है। नवमी तिथि का व्रत कर, माता की पूजा-आराधना करने के बाद माता को तिल का भोग लगाया जाता है। यह उपवास व्यक्ति को मृत्यु के भय से राहत देता है और अनहोनी घटनाओं से बचाता है।