विश्व में 1 से 7 अगस्त तक 'विश्व स्तनपान सप्ताह' मनाया जाता है और इस बार की थीम 'एम्पोवेर पैरेंट्स इनेबल ब्रेस्टफीडिंग' है। मां का दूध शिशु के लिए अमृत समान होता है इसलिए जन्म के बाद 6 महीने तक नवजात को मां का दूध ही पिलाया जाता है। मां के दूध से ही नवजात को सभी पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे वो शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। मगर, क्या आप जानती हैं कि ब्रेस्टफीडिंग महिलाओं के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद साबित होती है
चलिए अब आपको बताते हैं कि स्तनपान करवाने से महिलाओं को क्या-क्या फायदे मिलेंगे...
वजन घटाए
डिलीवरी के बाद अक्सर महिलाओं का वजन बढ़ जाता है लेकिन स्तनपान करवाने से वजन घटाने में मदद मिलती है। बता दें कि ब्रेस्टफीडिंग से एक बार में 450 से 500 कैलोरी खर्च होती है।
कैंसर से बचाव
एक शोध के अनुसार, ब्रेस्टफीडिंग ओव्यूलेशन प्रक्रिया को धीमी कर देता है। इससे ओवरियन और ब्रैस्ट कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
हार्ट अटैक का खतरा होगा कम
रिसर्च के अनुसार, शिशु को 6 महीने से ज्यादा स्तनपान करवाने वाली मांओं में हार्ट अटैक व स्ट्रोक की संभावना भी कम होती है।
पोस्टपार्टम अवसाद
स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन, अनिद्रा, भूख कम लगना, स्वभाव में चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियां का सामना भी नहीं करना पड़ता।
इंफेक्शन से बचाव
सिर्फ शिशु ही नहीं बल्कि ब्रेस्टफीडिंग से मांओं में भी इंफेक्शन का खतरा कम होता है। इससे बच्चें डायबिटीज, सेल्स कम होना, एलर्जी, अस्थमा और एक्जिमा की चपेट में भी नहीं आते।
पोस्टपार्टम हैमरेज का खतरा
डिलीवरी के बाद महिलाओं को करीब 1-डेढ़ महीने तक पीरियड्स रहते हैं लेकिन इससे पोस्टपार्टम हैमरेज का खतरा बढ़ाता है। मगर, जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग करवाती रहती हैं, उनमें इसकी संभावना कम होती है।
अर्थराइटिस
इससे महिलाओं में ऑस्टियोपोरेसिस, रुमेटॉयड अर्थराइटिस और दिल से संबंधित बीमारियों का खतरा भी कम होता है।
एनीमिया
ब्रेस्टफीडिंग से महिलाओं को एनीमिया होने का खतरा कम रहता है। साथ ही इससे मां और बच्चे के बीच का भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है।