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हर साल माता लक्ष्मी होती है नाराज, गुस्से में तोड़ देती हैं भगवान जगन्नाथ के रथ का पहिया

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 05 Jul, 2025 06:06 PM
हर साल माता लक्ष्मी होती है नाराज, गुस्से में तोड़ देती हैं भगवान जगन्नाथ के रथ का पहिया

नारी डेस्क: अपनी मौसी के घर श्री गुंडिचा मंदिर गए भगवान जगन्नाथ शनिवार को औपचारिक रूप से बड़े भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ वापसी के लिए ‘बहुड़ा यात्रा' पर रवाना हुए। वापसी यात्रा में हजारों भक्तों ने ‘पोहंडी' के बाद भगवान बलभद्र के ‘तलध्वज' के रथ को खींचा और गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब ने ‘छेरा पोहरा' (बुहारना) अनुष्ठान किया। पर क्या आप जानते हैं इस यात्रा के दौरान भगवान के रथ का  पहिया भी टूटते हैं और इसे खुद मां लक्ष्मी तोड़ती हैं। आइए विस्तार से समझते हैं इस रोचक कहानी के बारे में 
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भाई- बहन के साथ नगर भ्रमण करते हैं भगवान

रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमाओं को रथ में बैठाकर नगर भ्रमण कराया जाता है।  इस दौरान भगवान जगन्नाथ दसों अवतार का रूप धारण करते हैं। इस समय उनका व्यवहार सामान्य मनुष्यों जैसा होता है। मौसी के घर अच्छे-अच्छे पकवान खाकर भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं। तब यहां पथ्य का भोग लगाया जाता है जिससे भगवान शीघ्र ठीक हो जाते हैं।

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गुस्से में पहिया तोड़ देती हैं मां लक्ष्मी

रथयात्रा के तीसरे दिन पंचमी को लक्ष्मी जी भगवान जगन्नाथ को ढूंढ़ते यहां आती हैं। तब द्वैतापति दरवाज़ा बंद कर देते हैं तो वह नाराज हो जाती हैं और भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ का एक पहिया तोड़ देती हैं, ताकि वे वापस ना जा सकें। इसके बाद  हेरा गोहिरी साही पुरी का एक मुहल्ला जहां लक्ष्मी जी का मन्दिर है, वहां लौट जाती हैं।  बाद में भगवान जगन्नाथ लक्ष्मी जी को मनाने जाते हैं। उनसे क्षमा मागकर और अनेक प्रकार के उपहार देकर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। 

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सालों से चल रही है रुठने-मनाने की परंपरा

इस दौरान भगवान जगन्नाथ माता लक्ष्मी को कईं बेशकीमती चीजें और मिठाई भेंट करते हैं, जिन्में रसगुल्ले विशेष रूप से होते हैं। काफी कोशिश के बाद देवी लक्ष्मी मान जाती हैं और ये शर्त रखती हैं आगे से ऐसी भूल नहीं होनी चाहिए। इस तरह ये रुठने-मनाने की परंपरा सालों से चली आ रही है। इस परंपरा को हेरा पंचमी कहते हैं। इस आयोजन में एक ओर द्वैताधिपति भगवान जगन्नाथ की भूमिका में संवाद बोलते हैं तो दूसरी ओर देवदासी लक्ष्मी जी की भूमिका में संवाद करती है।
 

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