सुरों की मल्लिका के नाम से मशहूर मंगेशकर जी आज अपना 92वां जन्मदिन मना रही हैं। छोटी उम्र से लता ने संगीत को अपना जीवन बना लिया था। भले ही वो बॉलीवुड से दूर हो लेकिन उनकी आवाज का जादू आप भी लोगों के सिर चढ़कर बोलता है। उनकी आवाज कभी आंखों में आंसू तो कभी दिल में प्यार का एहसास करवा देती है। आज भी कोई सिंगर सुरों की मल्लिका का मुकाबला नहीं कर पाया। लोग उन्हें प्यार से लता दीदी कहकर भी पुकारते हैं।
जब लता दीदी को की गई मारने की कोशिश
मध्य प्रदेश के इंदौर में पैदा हुआ लता जी से हर कोई बेशुमार प्यार करता है लेकिन दुनिया में उनके दुश्मनों की कमी भी नहीं है। इसलिए तो 33 साल की उम्र में उन्हें जान से मारने की कोशिश की गई। जी हां, आपने सही पढ़ा... जब लता जी 33 साल की थी तो उन्हें जान से मारने की कोशिश की गई। इस बात का खुलासा उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में किया था।
चलिए जानते हैं लता मंगेशकर की जिंदगी से जुड़ा ये अनसुना किस्सा...
खाने में मिला जा रहा था Slow Poison
दरअसल, उस वक्त उनका करियार ऊंचाईयों पर था। मगर, एक सुबह जब वो सो कर उठीं तो अचानक उनके पेट में तेज दर्द उठा। उन्हें उल्टियां होने लगा, जिसमें हरे रंग का पदार्थ निकला। वो हिलने की हालत में नहीं थीं और उनके शरीर में भी तेज दर्द था। हालात इतनी बिगड़ी की उन्हें तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। तब डॉक्टर ने बताया कि उन्हें हल्का जहर (Slow Poison) दिया जा रहा है।
नहीं खोई थी आवाज
इसकी वजह से वह करीब 3 महीने तक बिस्तर से उठ नहीं पाईं। लोगों को लगा कि इसके कारण उन्होंने अपनी आवाज खो दी थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। हालांकि उनका शरीर कमडोर हो चुका था, जिसके कारण वो रिकॉर्डिंग नहीं कर पाती थीं। मगर, पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद उन्होंने 'कहीं दीप जले कहीं दिल' गाना गाया , जि उनकी सुपरहिट लिस्ट में शामिल है। यही नहीं, उनके इस गाने को फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था।
जहर देकर फरार हो गया था कुक
हालांकि लता जी ने इंटव्यू में कहा था कि उन्हें नहीं पता कि जहर कौन दे रहा था। खबरों की मानें तो जब लता जी को हॉस्पिटल ले जाया गया तब उनका उनका खानसामा यानी कुक ने नौकरी छोड़ दी। यहां तक कि वो अपने पैसे लिए बिना ही भाग गया।
इसके बाद अहतियात बरतते हुए लता जी की छोटी बहन ऊषा मंगेशकर ने रसोई व दीदी के खान-पान की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली।