लोकसभा चुनाव से पहले आखिरकार मोदी सरकार ने बड़ा ऐलान कर ही दिया। देश में आज से नागरिकता संशोधन कानून लागू हो गया है। इससे भारत के तीन पड़ोसी मुल्कों के अल्पसंख्यकों को भारत आने पर नागरिकता देने का प्रावधान है, इसमें मुस्लिम शामिल नहीं हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने सीएए को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था, जिस पर अब बड़ा फैसला लिया गया।
इन लोगों को मिलेगा लाभ्
सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए है। एक बार सीएए के नियम जारी हो जाने के बाद मोदी सरकार 31 दिसंबर,2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी। सीएए को दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे।
इस तरह मिलेगी नागरिकता
यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका था, क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अधिसूचित किया जाना बाकी था। अब केंद्र सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसे लागू कर दिया है। केंद्र सरकार ने सीएए से संबंधित एक वेब पोर्टल भी तैयार कर लिया है, जिसे नोटिफिकेशन के बाद लॉन्च किया जाएगा। तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून की तहत नागरिकता दी जाएगी।
क्या कहते हैं आंकड़े
2016 में गृह मंत्रालय ने संसद में को आंकड़े पेश किए थे, उसके अनुसार, 31 दिसंबर 2014 तक, सरकार ने भारत में 2,89,394 "राज्यविहीन व्यक्तियों" की पहचान की थी यानी जिनके पास नागरिकता नहीं थी। इनमें से अधिकांश बांग्लादेश (1,03,817) और श्रीलंका (102,467) से थे। इसके बाद तिब्बत (58,155), म्यांमार (12,434), पाकिस्तान (8,799) और अफगानिस्तान (3,469) हैं ।ये आंकड़े सभी धर्मों के राज्यविहीन व्यक्तियों के लिए हैं।
क्याे हो रहा सीएए का विरोध
इस कानून के जरिए पड़ोसी देश के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी., ऐसे में देश की जनसंख्या और बढ़ेगी। इस कानून का विरोध करने वालों का कहना है कि इससे देश के संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा और दूसरे देशों से आकर बसे हुए अल्पसंख्यक उनके संसाधनों पर कब्जा कर लेंगे। वहीं विपक्ष का कहना है कि मुसलमानों के साथ भेदभाव हो रहा है, नागरिकता देने के इस कानून को संविधान के लोकाचार के खिलाफ बताया गया है।