हिंदू धर्म में सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। सूर्य को अर्घ्य देने से रोगों का नाश होता है और स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत है तो व्यक्ति को जीवन में खूब कामयाबी और यश की प्राप्ति होती है। वहीं यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं है तो जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रोजाना सुबह सूर्य को जल देना चाहिए। हिंदू धर्म में सूर्य को देवता की तरह पूजा जाता है। ज्यादातर लोग सुबह पूजा पाठ करने के बाद सूर्य को अर्घ्य देते हैं। शास्त्रों के अनुसार सूर्य को शांति और शालीनता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए सूर्य को जल चढ़ाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। तो चलिए जानते है सूर्य को अर्घ्य देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
सूर्य को जल अर्पित करने की विधि
सुबह पूजा पाठ करने के बाद सूर्य देव को तांबे के पात्र से ही जल अर्पित करना चाहिए। ध्यान रहे सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। जल में रोली या फिर लाल चंदन का प्रयोग करें। इसके अलावा लाल फूल भी सूर्य देव को अर्पित करना शुभ माना जाता है।
सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ
धार्मिक मान्यता है कि रोजाना सूर्य को जल चढ़ाने से सूर्य देव का प्रभाव शरीर में भी बढ़ता है। इससे आप में ऊर्जा की वृर्द्धि होती है। साथ ही प्रतिदिन सूर्य को जल देने से आत्म शुद्धि और बल की प्राप्ति होती है। समाज में व्यक्ति का मान सम्मान भी बढ़ता है। वहीं हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि यदि सूर्य को अर्घ्य देते समय जल में कुछ चीजें जैसे हल्दी, कुमकुम, अक्षत, तिल आदि मिला दिए जाते हैं तो विवाह में अड़चनों से लेकर नौकरी में समस्याओं तक से मुक्ति मिलती है।
रविवार को जरूर जपें भगवान सूर्य के मंत्र
रविवार के दिन सूर्य को जल प्रातः काल यानी सूर्योदय के समय ही चढ़ाएं और बाद में सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें। कहा जाता है कि सूर्य के मंत्रों के जाप से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लेकिन एक बाद का ध्यान रखें कि सूर्य देव के मंत्रों का उच्चारण सही तरीके से करें।