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जानिए कैसे बने स्मार्ट बच्चों के लिए स्मार्ट पैरेंट्स

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 17 Apr, 2021 01:22 PM
जानिए कैसे बने स्मार्ट बच्चों के लिए स्मार्ट पैरेंट्स

आजकल के बच्चे काफी स्मार्ट हो चुके हैं। पैरेंट्स का बच्चों के साथ तालमेल बैठा पाना पहले के मुकाबले काफी मुश्किल हो गया है। माता-पिता के लिए ऐसे बच्चों को हैंडल कर पाना आसान नहीं। इस जैनरेशन के बच्चों को कैसे हैंडल करें आइए जानते हैं...

हैंडल न कर पाने की वजह

टेक्नोलॉजी के शिकार

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ज्यादातर बच्चे टेक्नोलॉजी के शिकार हो चुके हैं। इसकी वजह खुद पैरेंट्स हैं। बच्चे वहीं सीखते हैं जो वे देखते हैं। अगर आप टैक्नो एडिक्ट होंगे तो स्वाभाविक हैं बच्चों में भी वही गुण आएंगे।

यौन संबंधों से जुड़े सवाल

एक सर्वे के मुताबिक पहले के मुकाबले आजकल के बच्चे फिजिकल रिलेशन से जुड़े कई अटपटे सवाल पूछते हैं। इसके जवाब में पैरेंट्स या तो उन्हें डांट देते हैं या फिर सही जवाब नहीं देते हैं। सही जवाब ना मिल पाने से उनकी जिज्ञासा और बढ़ती जाती है और वो गलत संगत में पड़ जाते हैं, जो आगे जाकर खतरना होता है।

हर बात पर 'न' बोलना

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आजकल बच्चे काफी जिद्दी हो गए हैं। उनके अंदर हर बात पर 'न' बोलने की आदत घर करती जा रही है। चाइल्ड डेवलपमेंट रिसर्च के मुताबिक, 4 से 5 साल के बच्चे काफी बहस करते हैं। ऐसे बच्चे एक दिन में 20 से 25 बार ना बोलते हैं। इसका कारण बच्चों की थकान या फिर रूड बिहेवियर हो सकता है।  

फिजूलखर्च

अब पैरेंट्स बच्चों की हर डिमांड पूरी करते हैं, भले ही वो बेहद महत्वपूर्ण हो या ना। इससे बच्चों में फिजूलखर्च करने की आदत विकसित हो रही है। जब बच्चों में यह आदत विकसित हो जाए तो उन्हें हैंडल करना मुश्किल हो जाता है।

हर बात पर टोकना

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अक्सर पैरेट्स बच्चों को छोटी-छोटी बात पर टोकते रहते हैं। ऐसा करने से बच्चों में उस काम को लेकर डर बैठ जाता है या फिर उन्हें गुस्सा आता। जिससे वह विद्रोही स्वभाव के बनते जाते हैं।

खुद ही आदत डालना

बच्चों में कोई भी आदत खुद-ब-खुद नहीं पड़ती। वह अपने आस-पास जो देखता है वही सीखता है। अक्सर जब बच्चा रोता है तो मां-बाप उसे चुप कराने के लिए मोबाइल फोन दे देते हैं। ऐसा करने से उस समय बच्चा भले चुप हो जाए, लेकिन उसमें मोबाइल से खेलने की आदत विकसित होती जाती है।  


बच्चे को हैंडल करने के लिए क्या करें

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- बच्चों को स्मार्ट फोन, टीवी और लैपटॉप से दूर रखें।
- बच्चों में सेविंग करने की आदत विकसित करें।
- बच्चे जब जिद करें या किसी काम को करने से मना करें तो उन्हें डांटे नहीं, प्यार से समझाएं।
- उन्हें विकल्प चुनने का स्वतंत्र अधिकार दें। जिससे बच्चों में निर्णय लेने की क्षमता विकसित होगी।
- फिजिकल रिलेशन संबंधित सवालों पर डांटने की जगह, दूसरे तरीके से समझाएं।
- बढ़ती उम्र 11-13 साल के बच्चों  को बेसिक सेक्स एजुकेशन दें।
- बच्चों में अच्छी किताबें पढ़ने की आदत डालें। बेहतर होगा आप भी उनके साथ पढ़ें।


क्या ना करें

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- बच्चों से ऊंची आवाज में बात ना करें।
- घर के झगड़ों से उन्हें दूर रखें।
- पढ़ाई के लिए ज्यादा प्रैशर ना बनाएं।
- अपनी पसंद बच्चों पर ना थोपें, उनकी इच्छा जानें।
- बच्चों के सामने स्मार्ट फोन, टीवी और लैपटॉप के इस्तेमाल से बचें।
-बच्चों को बात बात पर टोके नहीं।
-बच्चे की हर जिद पूरी नहीं करे, धैर्य रखना सिखाएं।
-सेक्स से जुड़े सवालों पर डांटे नहीं।

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