चैत्र नवरात्रि के पावन दिन चल रहे है। ऐसे में लोग मां दुर्गा की भक्ति में डूबे हुए हैं। मंदिरों में भी दिन- रात माता की ही पूजा हो रही है। वहीं अष्टमी- नवमीं में कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है। अगर आप नवरात्रि के 9 दिन व्रत नहीं रख पाए हैं तो अष्टमी और नवमी के दिन व्रत रख सकते हैं। मान्यता है कि दुर्गाष्टमी के व्रत करने वाले 9 दिनों की पूजा के समान ही फल प्राप्त करते हैं। इस दिन मां महागौरी का पूजन करें।
कन्या पूजन में 2 से 10 साल के बीच की बच्चियों को घर बुलाकर उनके पैर धोएं और मां के पसंद का खाना बनकर खिलाएं। कहते हैं कि कन्या पूजन से दुख- दरिद्रता दूर हो जाती है। कन्या पूजन में 9 बालिकाओं के साथ 2 बालकों को भी पूजा जाता है। इसके पीछे की ये कहानी ये है कि जहां बालिकाओं को माता रानी का स्वरूप माना जाता है, वहीं बालकों को भगवान गणेश और भैरव बाबा का रूप माना जाता है।
कन्या पूजन की विधि
1. कन्या पूजन के लिए 9 से ज्यादा कन्याओं को आमंत्रित करें।
2. हलवा और पूड़ी का खास प्रसाद बनाएं।
3. कन्याओं और बटुक (छोटे लड़के) के पानी से पैर धोएं और उनके चरण स्पर्श करें।
4. इसके बाद उनके माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाएं।
5. उन्हें साफ जगह पर बिठाएं। कन्याओं और लड़की की हाथ में मौली बांधें।
6. मां भगवती का ध्यान करते हुए कन्याओं को भोजन करवाएं।
7. अंत में उन्हें गिफ्ट्स दें। उनके पैर छुएं और फिर उन्हें विदा करें।
शास्त्रों में अलग- अलग कन्या पूजन के फल के बारे में बताया है।
- 2 साल की कन्या की पूजा करने से घर से दुख- दरिद्रता दूर होती है।
-3 साल की कन्या त्रिमूर्ति होती है। इनके पूजन से घर में लक्ष्मी आती है।
- 4 साल की कन्या कल्याणी है, जिसके पूजन से सुख- समृद्धि आती है।
- 5 साल की कन्या रोहिणी होती है, जिसके पूजन से घर के लोग रोग- मुक्त होते हैं।
-6 साल की कन्या कालिका का रूप है जिसके पूजन से हर कार्य में सफलता मिलती है।
- 7 साल की कन्या चंडिका है, जिसके पूजन से धन की वर्षा होती है।
- 8 साल की कन्या को शांभवी के रूप में देखा जाता है, जिसके पूजा से शोहरत आती है।
- 9 साल की कन्या मां दुर्गा का रूप है जो शत्रुओं का नाश करती है।
- 10 साल की कन्या सुभद्रा है जिसके पूजन से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।