क्या आप भी अचानक कम या ज्यादा भूख लग रही हैं? क्या वजन अचानक कम हो रहा है? तो यह ईटिंग डिसऑर्डर यानी खान-पान से जुड़ी बीमारी के संकेत हो सकता हैं। महिलाओं के लिए यह बीमारी और भी खतरनाक है क्योंकि इससे ओव्यूलेशन पर असर पड़ता है, जिससे उन्हें मां बनने में दिक्कत आ सकती है। चलिए जानते हैं कि महिलाओं की सेहत को कैसे प्रभावित करता है ईटिंग डिसऑर्डर...
ईटिंग डिसऑर्डर क्या है?
ईटिंग डिसऑर्डर एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर होता है, जिससे पीड़ित लोग बहुत कम या ज्यादा खाते हैं। इसके कारण वजन कम और बॉडी मास घट जाता है। इसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति एनोरेक्सिया नर्वोसा का शिकार हो सकता है। एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित व्यक्ति को इस बात का डर रहता है कि कहीं उसका वजन ना बढ़ जाए जिसके कारण वह कम खाना शुरू कर देता है। इसकी वजह से उसका वजन कम हो जाता है।
ओव्यूलेशन को कैसे करता है प्रभावित?
जिन महिलाओं को ईटिंग डिसऑर्डर है, उनमें गर्भपात और यहां तक कि जन्म के समय कम वजन होने की संभावना अधिक होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि महिलाएं पोषण से समझौता कर लेती हैं। इसके कारण वो एमेनोरिया (पीरियड्स ना आना) या ओलिगोमेनोरिया (अनियमित मासिक धर्म चक्र) की शिकार हो जाती हैं, जिससे गर्भधारण के दौरान समस्याएं होती हैं।
क्या है एनोरेक्सिया?
एनोरेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति का ओव्यूलेशन अनियमित होगा और मासिक धर्म अनियमित हो सकता है या पूरी तरह से रुक सकता है। एनोरेक्सिया हार्मोन लेप्टिन में कमी से जुड़ा हुआ है जो मस्तिष्क में हाइपोथैलेमस की गतिविधि को अनियमित करने के लिए जिम्मेदार है।
महिलाएं रखें इन बातों का ख्याल
• ईटिंग डिसऑर्डर से निपटने के लिए डॉक्टर से सलाह लें क्योंकि इसके कारण आपको तनाव, चिंता और अवसाद का अनुभव हो सकता है।
• गर्भधारण करने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ से बात करें। साथ ही सही डाइट प्लान फॉलो करें।
• ब्रेकफस्ट, लंच और डिनर सही समय पर करें। साथ ही ध्यान रखें कि आपकी डाइट में पौष्टिक भोजन शामिल हो।
• अगर खाने-पीने में दिक्कत हो तो धीरे-धीरे शुरूआत करें। जैसे ब्रेकफस्ट का मन हो तो एक रोटी खाएं। इससे धीरे-धीरे आदतें ठीक हो जाएंगी।
• जब भूख लगे तब खाएं। जबरदस्ती भूखी न रहें। साथ ही हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करें।