बजरंगबली हनुमान जी के सबसे अच्छे मित्र माने जाते हैं भगवान श्री राम के परम भक्त जामवंत। परशुराम और हनुमान के बाद जामवन्त ही एक ऐसे व्यक्ति हैं। जिनका तीनों युगों में होने का वर्णन मिलता है। जामवंत एक वानर योद्धा थे और उन्हें "ऋक्षराज" के नाम से भी जाना जाता है। जामवंत और हनुमान जी की मित्रता और सहयोग का उल्लेख रामायण और अन्य पुराणों में मिलता है।
जामवंत ने हनुमान जी को याद दिलाया उनका बल
जब भगवान राम की पत्नी सीता माता का रावण द्वारा अपहरण कर लिया गया था, तब भगवान राम ने वानर सेना का सहारा लिया। वानर सेना में जामवंत एक बुजुर्ग लेकिन बहुत ही बुद्धिमान और वीर योद्धा थे। उन्होंने हनुमान जी की शक्ति और क्षमता को पहचानते हुए उन्हें अपनी महान शक्तियों का स्मरण कराया और समुद्र पार कर लंका जाने का सुझाव दिया।
जामवंत से ही हनुमान जी को मिली थी प्रेरणा
बताया जाता है कि भगवान इंद्र के द्वारा हनुमान जी को श्राप मिला था कि वह अपनी शक्तियों को भूल जाएंगे तब सीता की खोज के दौरान हनुमान जी को लंका तक जाने का रास्ता मिला था जो कि 100 योजन दूर था हनुमान जी अपनी शक्तियों के बारे में नहीं जानते थे। तब जामवंत ने हनुमान जी को उनकी अद्भुत शक्ति का एहसास करवाया और बताया कि वे ही वह योद्धा हैं जो समुद्र को पार कर सकते हैं और सीता माता का पता लगा सकते हैं। जामवंत के प्रेरणा और मार्गदर्शन से हनुमान जी ने अपनी क्षमता को पहचाना और एक विशाल छलांग लगाकर लंका पहुंचे।
मित्रता का महत्व
जामवंत और हनुमान जी की मित्रता एक प्रेरणादायक कहानी है, जो यह सिखाती है कि सच्चे मित्र वही होते हैं जो हमें हमारी क्षमता का एहसास दिलाते हैं और हमें सही दिशा में प्रेरित करते हैं। इस मित्रता से यह भी सिखा जा सकता है कि जीवन में सच्चे मित्रों का होना कितना महत्वपूर्ण होता है, जो हमें कठिन समय में सहारा देते हैं और हमें हमारी मंजिल तक पहुंचने में मदद करते हैं।