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गोवर्धन पूजा के दौरान की गई ये 5 गलतियां बढ़ा सकती हैं परेशानियां!

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 02 Nov, 2024 11:06 AM
गोवर्धन पूजा के दौरान की गई ये 5 गलतियां बढ़ा सकती हैं परेशानियां!

नारी डेस्क: गोवर्धन पूजा  देशभर में 2 नवंबर को भगवान कृष्ण को समर्पित गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व दिवाली के अगले दिन और भाई दूज से एक दिन पहले कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की विधिपूर्वक पूजा करने का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं गोवर्धन पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजन से जुड़े जरूरी नियमों के बारे में।

गोवर्धन पूजा कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 1 नवंबर को शाम 06:16 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन 2 नवंबर 2024 को रात 08:21 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर इस बार गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर को मनाया जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: 6 बजे से लेकर सुबह 8 बजे तक है।

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गोवर्धन पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य 5 बातें

बंद कमरे में पूजा न करें

गोवर्धन पूजा को हमेशा घर के आंगन या बाहर खुली जगह पर करना चाहिए। यदि पूजा बंद कमरे में की जाती है, तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। खुली जगह में की गई पूजा से वायु और प्रकृति के तत्वों का समावेश होता है, जिससे पूजा की ऊर्जा बढ़ जाती है।

गौ माता की पूजा का महत्व

इस दिन गौ माता की पूजा का विशेष महत्व है। प्रात: गौ माता को स्नान कराएं, उन्हें कुमकुम से तिलक करें और चारा खिलाएं। फिर 7 या 11 बार उनकी परिक्रमा करें और पैर स्पर्श करके अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन के लिए प्रार्थना करें। गौ माता की पूजा से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली का वास होता है।

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पूजा में सभी सदस्यों का होना आवश्यक

गोवर्धन पूजा अकेले नहीं करनी चाहिए। परिवार के सभी सदस्यों का पूजा में होना जरूरी है, अन्यथा पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती और श्रीकृष्ण का विशेष आशीर्वाद भी नहीं मिलता। एकजुट होकर की गई पूजा से परिवार में प्रेम और एकता बढ़ती है, जो धार्मिक अनुष्ठानों की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।

गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा

गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करना शुभ माना जाता है, लेकिन इसे बीच में छोड़ना अशुभ है। परिक्रमा हमेशा नंगे पैर करनी चाहिए। नंगे पैर चलने से धरती से जुड़ाव महसूस होता है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है और पूजा के प्रभाव को गहरा करता है।

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तामसिक भोजन से बचें

गोवर्धन पूजा के दिन रसोई में तामसिक भोजन न बनाएं। पूरे दिन क्रोध और गुस्से से बचें, किसी को गलत बोलने से भी दूर रहें। यह दिन शांति और सकारात्मकता का प्रतीक है, और तामसिक भोजन से मन में अशांति और उदासी आ सकती है, जिससे पूजा का फल प्रभावित होता है।

गोवर्धन पूजा एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और गौ माता की पूजा का विशेष महत्व है। पूजा के दौरान उपरोक्त नियमों का पालन करना जरूरी है ताकि साधक को पूजा का पूर्ण फल मिल सके। इस पावन अवसर पर सभी भक्तजन एकजुट होकर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करें।

 

 

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